हल्के से ठोकर से भी हो सकता है फ्रैक्चर

ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की समस्या को कुछ दशक पहले तक उम्र के साथ होने वाली समस्या के तौर पर देखा जाता था, हालांकि बिगड़ती जीवनशैली और आहार में पौष्टिकता की कमी के कारण अब कम उम्र के लोगों में भी इस तरह की दिक्कतों का निदान किया जा रहा है।
क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या धीरे-धीरे विकसित होती है, कई लोगों को तो यह पता ही नहीं चलता है कि वह ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हो गए हैं। इतना ही नहीं समय के साथ हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि हल्के से ठोकर, यहां तक कि खांसने या छींकने से भी इनके टूटने का जोखिम हो सकता है। सभी लोगों को इसके जोखिम कारकों को समझते हुए बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। आइए आगे इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस के कई कारक हो सकते हैं। कुछ स्थितियों में तो इससे बचाव करना भी संभव नहीं होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हमारा शरीर लगातार हड्डी के पुराने ऊतकों को अवशोषित करके नए ऊतकों को उत्पादित करता रहता है जिससे हड्डियों का घनत्व, ताकत और संरचनात्मक ठीक बनी रहती है। उम्र और जीवनशैली के कई कारक हड्डियों के नए ऊतकों के उत्पादन को प्रभावित कर देते हैं, जिसके कारण पुराने ऊतकों का अवशोषण तो होता रहता है पर नए ऊतकों का निर्माण नहीं हो पाता है, जिसके कारण इस तरह की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।


स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों की पहचान करके समय रहते अगर उपचार शुरू कर दिया जाए तो इसकी जटिलताओं को कम किया जा सकता है। हालांकि शुरुआती चरणों में कई लोगों में इसके कोई भी लक्षण या संकेत नहीं दिखाई देते हैं, जिसके कारण इसका पहचान कर पाना कठिन हो सकता है। ज्यादातर मामलों में इस समस्या का पता तब तक नहीं चल पाता है जब तक कि उन्हें फ्रैक्चर न हो जाए। हालांकि कुछ लक्षणों को लेकर लोगों को सावधानी बरतते रहना चाहिए।
- पकड़ की ताकत कम होते जाना।
- नाखून का आसानी से टूटना।
- हल्के चोट से भी हड्डियों में दर्द अधिक होना।

हड्डियों को स्वस्थ रखने के उपाय करके ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिमों को कम किया जा सकता है। इसके लिए आहार में पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को शामिल करें। कैल्शियम और विटामिन-डी का सेवन हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए आवश्यक है। हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले अन्य पोषक तत्वों में प्रोटीन, मैग्नीशियम, विटामिन-के और जिंक वाली चीजों को भी शामिल करें। आहार के साथ शारीरिक गतिविधियों और नियमित व्यायाम की आदत बनाएं।