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उत्तराखंड का नाम हुआ ऊंचा: ईपीआई रैंकिंग में अव्वल, स्पार्क रैकिंग में मिला तीसरा स्थान

देश के फलक पर एक बार फिर उत्तराखंड का नाम ऊंचा हुआ है। एक ओर जहां नीति आयोग ने उत्तराखंड को अपनी रैंकिंग में हिमालयी राज्यों में पहला स्थान दिया है तो दूसरी ओर शहरी विकास मंत्रालय से जुड़ी स्पार्क रैकिंग में शहरी विकास विभाग को हिमालयी राज्यों में तीसरा स्थान मिला है।
नीति आयोग के ईपीआई इंडेक्स में पहला स्थान
नीति आयोग ने एक्सपोर्ट प्रीपेयर्डनेस इंडेक्स (ईपीआई) रैंकिंग जारी की है। इस रैंकिंग में हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड को पहला स्थान मिला है। नीति आयोग ने निर्यात प्रोत्साहन नीतियों को अपनाने के लिए इस साल में ईपीआई इंडेक्स का दूसरा संस्करण जारी किया है। इस इंडेक्स में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तटीय, भूमि बंद, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के तहत बांटा गया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड ने कारोबारी माहौल और संस्थागत ढांचे में असाधारण प्रदर्शन किया है। लिहाजा, हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड का पहला और देशभर में 17वां स्थान दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। सभी जिलों का डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट प्लान तैयार किया गया है। जिलों के निर्यात होने वाली शीर्ष उत्पादों को चिन्हित किया गया है। 2020-21 में 15900 करोड़ से बढ़ाकर आगामी पांच वर्षों में सरकार ने 30 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा है। इससे 30 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा। प्रदेश सरकार ने निर्यातकों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार से उत्तराखंड में निर्यात संवर्धन परिषद कार्यालय खोलने का अनुरोध भी किया है। वाणिज्य मंत्रालय ने इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का कार्यालय खोलने की सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है।
स्पार्क रैंकिंग में हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड को तीसरा स्थान
दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन में पूर्वोत्तर और हिमाचली राज्यों में उत्कृष्ट क्रियान्वयन पर सिस्टमैटिक प्रोग्रेसिव एनालिटिकल रियल टाइम रैंकिंग (स्पार्क) ने तीसरा स्थान दिया है। इसके तहत आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने दो करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि भी जारी की है। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में गरीब परिवारों और महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक क्षमता विकास करते हुए प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता के माध्यम से रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए गए। शहरी निराश्रितों को सुसज्जित एवं आवश्यक सेवाओं से युक्त आश्रय उपलब्ध कराया गया है। शहरी पथ विक्रेताओं को आजीविका के लिए उपयुक्त स्थान, संस्थागत ऋण, सामाजिक सुरक्षा और कौशल उपलब्ध कराया गया है। योजना में अब तक 2399 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन करते हुए 20215 महिलाओं का सामाजिक एवं आर्थिक क्षमता में विकास किया गया। 1500 शहरी गरीब महिलाओं को एसएचजी बैंक लिंकेज माध्यम से स्वरोजगार के लिए 3.81 करोड़ का लोन उपलब्ध कराया गया। शहरी विकास निदेशक ललित मोहन रयाल ने बताया कि शहरी क्षेत्र में फेरी कारोबारियों का सभी निकायों में सर्वे पूरा कर 19881 को पहचान पत्र उपलब्ध कराया गया। प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत कोविड काल में रोजगार में सहायता के लिए फेरी कारोबारियों को नो प्रतिशत ब्याज सब्सिडी पर 11.77 करोड़ का लोन दिया गया। 17 हजार फेरी कारोबारियों को कोविड काल में राज्य सरकार ने प्रति व्यवसायी 10 हजार रुपये की धनराशि दी। सभी निकायों में तीसरे पक्ष की ओर से खुले में रहने वाले बेघरों का सर्वे पूरा करते हुए 14 शहरी आश्रयों का निर्माण 7.88 करोड़ से किया गया। 20939 शहरी गरीब लाभार्थियों के कौशल विकास के लिए निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया। 7883 को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ा गया।

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