उत्तराखंड के कुमाऊं के पर्वतीय जिलों में सुविधाएं ना होने के कारण लोगों ने पलायन करना शुरू
Dehradun: कुमाऊं के पर्वतीय जिलों के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से सुविधाओं के अभाव ने जनसांख्यिकी बदल दी है। सीमांत जिले पिथौरागढ़ समेत अल्मोड़ा जिले के कई इलाकों से शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, परिवहन आदि के लिए लोग पलायन कर गए हैं। स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, अस्पतालों में डॉक्टर। कई गांवों में अभी तक सड़क नहीं पहुंची है लिहाजा किसी के बीमार या प्रसव पीड़िता को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए डोली ही सहारा है।
कई गांव ऐसे हैं जहां सड़क तब पहुुंची जब आबादी पलायन कर गई। इन जिलों में घटते मतदाताओं और तराई-भाबर में बढ़ती जनसंख्या पलायन का सबूत है। मैदानी इलाकों में रोजगार के बेहतर अवसर होने से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी लोग यहां आकर बस रहे हैं, जिसकी वजह से यहां के मतदाताओं की संख्या भी इजाफा हुआ है।
अल्मोड़ा- दो साल में घट गए 4863 मतदाता
- वर्ष 2022 में जिले की छह विधानसभा क्षेत्रों में 5,40,152 मतदाता थे जो अब 5,35,289 रह गए हैं।
- जिले की छह विधानसभा सीट में से चार पर मदाताओं की संख्या घटी है।
- अल्मोड़ा विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 3048 मतदाता घटे हैं। 2022 में यहां 90,321 मतदाता थे, अब 87,273 रह गए हैं
- द्वाराहाट विधानसभा सीट पर 92,555 मतदाता थे जो अब 91,023 रह गए हैं। यहां 1532 मतदाताओं ने पलायन किया है।
- रानीखेत विधानसभा सीट पर 79,478 मतदाता थे जो अब 625 घटकर 78,853 रह गए हैं।
- सोमेश्वर विधानसभा सीट पर 79 मतदाता घटे हैं। यहां 2022 में 87,350 मतदाता थे जो अब 87271 रह गए हैं।
दो विधानसभाओं में बढ़ी मतदाताओं की संख्या
- सल्ट, जागेश्वर सीट पर मदाताओं की संख्या बढ़ी है। सल्ट विस सीट में पूर्व में 96,959 मतदाता थे जो अब 405 बढ़कर 97,364 पहुंच गए हैं।
- जागेश्वर विधानसभा सीट पर 16 मतदाता बढ़े हैं। यहां बीते विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 93,489 थी जो अब 93,505 है।
- सर्विस मतदाता भी हुए कम : जिले की छह विधानसभा सीट पर बीते विधानसभा चुनाव में 7258 सर्विस मतदाता थे जो अब घटकर 7139 रह गए हैं।