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उत्तराखंड से खत्म हो जाएगा कांग्रेस का प्रतिनिधित्व

CONGRESS

उत्तराखंड की राज्यसभा के लिए एक सीट पर होने वाले चुनाव में भाजपा ने डॉ. कल्पना सैनी को मैदान में उतार दिया है, जबकि कांग्रेस अभी तक चुप्पी साधे हुए है। पार्टी की ओर से अभी तक यही स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह चुनाव लड़ेगी भी या नहीं। हालांकि पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस इस चुनाव में अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी।
ऐसे में 10 जून को डॉ. कल्पना सैनी के निर्विरोध चुनाव के साथ ही देश की संसद में उत्तराखंड से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा। राज्यसभा का चुनाव संख्या बल के आधार पर होता है। जो कांग्रेस के पक्ष में नहीं है। सत्तारूढ़ दल भाजपा के पास विधानसभा में दो तिहाई बहुमत है। जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या मात्र 19 है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, संख्या बल कम होने की वजह से पार्टी इस चुनाव में अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी। हालांकि इस बारे में आधिकारिक रूप से अभी तक पार्टी का कोई बयान सामने नहीं आया है।
राज्य बनने के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब देश की संसद में उत्तराखंड से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व पूरी तरह खत्म हो जाएगा। जबकि भाजपा के खाते में पांचों लोकसभा सीटों के अलावा राज्य की तीनों राज्यसभा सीटें भी चली जाएंगी। इससे पहले वर्ष 2000 में भी राज्यसभा की तीनों सीटें भाजपा के खाते में थीं।

तब भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज, मनोहर कांत ध्यानी और संघप्रिय गौतम राज्यसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जबकि पांच में से चार सांसद भी भाजपा के ही थे। नैनीताल से कांग्रेस के अकेले एनडी तिवारी सांसद चुने गए थे। इधर, कांग्रेस महामंत्री संगठन मथुरादत्त जोशी का कहना है कि पार्टी के पास राज्यसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए संख्या बल नहीं है।

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