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उत्तराखण्ड चुनाव पर संक्षिप्त रिपोर्ट

देहरादून; उत्तराखण्ड राज्य विधानसभा की 70 सीटों का चुनाव 14-02-2022 को सम्पन्न हुआ। जिसमें सभी दल (भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, उत्तराखण्ड क्रांतिदल, ब0स0पा, स0पा0 निर्दलीय एव ंअन्य दल) सभी ने अपनी-जीत के दावें किये हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने कांग्रेस प्रदेष कार्यालय में ढोल नगाड़ों से चुनाव दिवस समाप्ति के दिन ही विजय घोशित कर दिया था और श्री हरीष रावत सहित अपने अपने को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में प्रस्तुत भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा के 2-3 विधानसभा के प्रत्याषी भाजपा के प्रान्तीय अध्यक्ष मदन कौषिक को कोस रहे हैं कि उन्होंनें हराने के लिए कार्य कराया। केन्द्र नेतृत्व श्री मदन कौषिक प्रदेष अध्यक्ष भाजपा को हटाने का काम करें। अन्य दलों की स्थिति कोई महत्वपूर्ण नहीं है।
उत्तराखण्ड में मूलतः दोनों पार्टियों का षासन (भाजपा व कांग्रेस) दस-दस वर्श तक रहा हैं अपने-अपने कार्यकाल में दोनों पार्टियों द्वारा कार्य करने की कार्यषैली रही है, पर आंकलन यह किया जाता है किसके सरकार में जनहित सम्बन्धी कितने कार्य किये गये। एक अनुमान के अनुसार कांग्रेस के कार्यकाल में सबसे कम नियुक्ति हुई है जबकि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में सबसे अधिक नियुक्तियंा हुई हैं और प्रषासनिक सेवाओं की नियुक्तियां जो बंद पड़ी थी ओपन की गयी हैं। इसी प्रकार सड़क निर्माण में कांग्रेेस द्वारा कोई विषेश कार्य नहीं किया गया है। राज्य सम्बन्धी कुछ सड़कों का मेन्टेनेन्स किया गया था जबकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने स्व0श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा चलायी गयी स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना व प्रधानमंत्री ग्रामीण स़डक योजना के तहत वृृहद् निर्माण कार्य हुए हैं और वर्तमान में चल भी रहे हैं। ऋशिकेष से कर्णप्रयाग रेलवे लाईन निर्माण भी भाजपा केन्द्रीय सरकार की मदद से कर रही है। कांग्रेस के समय यह कार्य षून्यता था। चारधाम के उत्थान व निर्माण के लिए केन्द्र सरकार व राज्य की भाजपा सरकार प्रयासरत है और केदारनाथ धाम का भव्य निर्माण किया गया है और वर्तमान में किया भी जा रहा है।
दल बदल की नीति अपनाने वाले नेता जनता के बीच अब महत्वपूर्ण स्थान नहीं रख रहे हैं। इसलिए जनता यह महसूस कर रही है जो सरकार जन हिताय के कार्य ज्यादा करेगी उसी विजय होगी। वर्तमान राज्य सरकार व केन्द्र सरकार द्वारा मुफ्त राषन व मुफ्त वैक्सीन दिये जाने पर भी मतदाताओं द्वारा वर्तमान सरकार के पक्ष में वोट कर दी गयी है। एक अनुमान के अनुसार जितने भी दल बदलू मैदान में कांग्रेस व भाजपा के हैं वे चुनाव हारने की कगार पर हैं ऐसा अनुमान आया है। उदाहरण स्वरूप श्री यषपाल आर्य उनके पुत्र नैनीताल सीट से श्री संजय आर्य और लैन्सडौन से सीट से श्रीमती अनुकृति गुसाईं, चकराता सीट से प्रीतम सिंह, श्रीनगर सीट से श्री गणेष गोदियाल चुनाव हार रहे हैं ऐसा अनुमान उत्तराखण्ड द्वारा जनता के बीच से आया है।
कृशि आन्दोलन का उत्तराखण्ड में इतना महत्व नहीं है फिर भी उत्तराखण्ड वासियों /मतदाताआंे का मत है कि पूरे देष के अंदर जबकि किसानों के 550 संगठन है तो फिर सरकार के साथ वार्ता करने के लिए 42 संगठन ही क्यों आते हैं। यहां पर या तो सरकार की गलती है या फिर पूरे देष में किसानों का आन्दोलन मात्र गाजीपुर बोर्डर, सिन्धु बार्डर, हरियाणा बोर्डर पर ही पंजाब के किसानों, हरियाणा के कुछ किसानों व पंष्चिम उत्तर प्रदेष के कुछ किसानों का आन्दोलन कांग्रेस, सपा, बसपा आम आदमी पार्टी व अन्य पार्टी द्वारा प्रायोजित था। किसानों का आन्दोलन पवित्र माना जाता है पर देष के लाल किले पर राश्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले व किसानों के बीच में खालिस्तानी टेंट लगाने वाले आदि किसान नहीं हो सकते हैं। जब सरकार द्वारा 12 बार की वार्ता की गयी थी और सरकार ने कानून को डेढ वर्श के लिए स्थगित रखने की बात की थी तब ये किसान नेता क्येां नहीं माने थे, और साथ ही माननीय न्यायालय द्वारा समिति का गठन कर उस समिति के सामने अपनी बात रखने को कहा गया था और कानून पर रोक लगा दी गयी थी तब इन किसान आन्दोलन स्थगित क्यों नहीं किया था। और कुछ किसान नेता व विपक्षी दल अपनी बैठकों व मीटिंगों भाशणों में यह कहते हैं कि 700 किसानों की मौत हुई है, जिसे सरकार द्वारा अपनी मनमानी के कारण आज तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है। अब प्रष्न यह है कि अगर ये किसान नेता माननीय न्यायालय व सरकार की बात को मानकर कानून वापस ले ले तो यह तो 700 किसानों की मौत नहीं होती और ना ही सड़क रोक आवाजाही को बाधकता मिलती। ऐसे में किसी सरकार द्वारा किसानों की मौत नहीं करायी गयी। बल्कि किसान नेताओं के हठ धर्मियों के कारण गरीब किसान व छोटे किसानों की मौत हुई। इनका मुआवजा विपक्षी दलों से देना चाहिये। ऐसी भावना जनता व किसानों के बीच है। इसलिए किसान आन्दोलन पर उत्तराखण्ड राज्य में कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलो ंसे समर्पित लोग ही किसानों के साथ है। षेश सभी भावनाओं को समझते हैं और प्रायोजित आन्दोलन को मानते और साथ नहीं हैं। उनका यह भी मानना है कि सड़कों को रोक जनता के आवाजाही मार्गों को रोक व रोकने वालों ने भी कानून का उल्लंघन किया है, उन पर भी कार्यवाही भी कार्यवाही होनी चाहिये। और किसान नेताओं व विपक्षी दलों को चाहिये कि वे पंजाब के कृशि कानून के विरूद्ध आन्दोलन करे जो किसान को 5 साल की सजा व 5 लाख तक का जुर्माना करवाता है। कहने का तात्पर्य है कि एक तरफ न सोचे प्रधानमंत्री को धन्यवाद जिन्होंने समझ की, समझाने के बाद भी जो समझना नहीं चाहते हैं कानून वापिस ले लिया गया। यह भी उत्तराखण्ड के मतदाता समझते हैं।

Report 18 feb 2022 PDF
वर्तमान स्थिति के अनुसार उत्तराखण्ड में विधानसभा के लिए विभिन्न सर्वे आये हैं जिनमें कुछ सर्वे नेट टू नेट फाईल मान रहे हैं कुछ बीजेपी को ज्यादा सीट दे रहे हैं। कुछ कांग्रेस को भी दे रहे हैं। दोनों पार्टियों के इन्टरनल सर्वे में कांग्रेस अपने को 45 से 48 तथा भाजपा अपने को 45 से 55 तक की सीट प्राप्त करने की बात कह रही है। निर्दलीय या अन्य पार्टी के लिोग अनुमान के अनुसार निर्दलीय 1 व अन्य दलों किसी को 1 सीट मिलने की संभावना जताई गयी है। किन्तु उत्तराखण्ड के सभी सीटों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मैंने यह अनुमान लगाया है कि 43 से 50 के बीच भाजपा को सीट मिलेगी, 11 से 18 के बीच कांग्रेस को व 2 सीटें निर्दलीय व अन्य पार्टी को मिल सकती है। उपरोक्त आंकडे 10 मार्च के रिजर्ल्ट के बाद ही स्पश्टता आयेगी कि उपरोक्त सर्वे कितना कारगर होता है। इस रिपोर्ट के साथ 1 से 9 संलग्न है जिसका अवलोकन करेगें।

शिव प्रसाद नौटियाल

वरिष्ट नागरिक वमतदाता
इन्दिरानगर, सीमाद्वार,
देहरादून

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