ऑपरेशन सिलक्यारा पर है पीएमओ की निगाह

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने बृहस्पतिवार को सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्य का जायजा लिया। पत्रकारों से वार्ता में केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि घटना के कारणों की अलग से गहन जांच होगी। वर्तमान में पहली प्राथमिकता सुरंग में फंसे लोगों को बचाना है। उन्होंने बचाव कार्य दो से तीन में पूरा कर लेने की बात कही है।

बुधवार देर रात तक ट्रक के माध्यम से यह मशीन सिलक्यारा टनल साइट तक पहुंचाई गई। जिसके बाद देर रात से ही मशीन को स्थापित करने का काम शुरू किया गया। जो कि बृहस्पतिवार सुबह तक चला। इसके बाद ड्रिलिंग शुरू की गई। दोपहर तक छह मीटर लंबाई का पहला एमएस पाइप अंदर डाला गया।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि बृहस्पतिवार शाम तक 12 मीटर पाइप अंदर डाला गया है। इन पाइपों को वेल्डिंग कर जोड़ने में एक से दो घंटे का समय लग रहा है। वहीं पाइपों का एलाइनमेंट सही रखने की भी चुनौती बनी हुई है।
बता दें कि बीते रविवार को हुए भूस्खलन से सिलक्यारा सुरंग में 70 मीटर तक मलबा फैला हुआ है। जिस गति से नई मशीन ड्रिलिंग कर रही है, उसे देखकर यही लगता है कि अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में कम से कम 48 घंटे का समय और लग सकता है। निकालने के लिए जारी रेस्क्यू अभियान का आज छठवां दिन है। अमेरिकी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। अभी तक 24 मीटर ड्रिलिंग हो पाई है। जबकि बृहस्पतिवार शाम तक ड्रिलिंग कर 12 मीटर पाइप मलबे में डाले गए थे। छह मीटर का एक पाइप है। अमेरिकी ऑगर मशीन से 900 एमएम व्यास के करीब करीब 10 से 12 पाइप डाले जाने हैं।
एक बोल्डर मशीन के आगे आया था। अमेरिकी ऑगर मशीन से 900 एमएम व्यास के करीब करीब 10 से 12 पाइप डाले जाने हैं। यह मशीन एक घंटे में पांच से छह मीटर तक ड्रिलिंग कर रही है, लेकिन पाइप वेल्डिंग और एलाइनमेंट सही करने में करीब एक से दो घंटे का समय लग रहा है। जिससे मजदूरों को बाहर निकालने में कम से कम 48 घंटे का समय और लग सकता है।
सिलक्यारा सुरंग हादसे को पांच दिन का समय पूरा हो चुका है। आज रेस्क्यू का छठवां दिन है। बीते मंगलवार को सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए देहरादून से ऑगर मशीन मंगवाई गई थी, लेकिन क्षमता कम होने के चलते मंगलवार देर रात इसे हटा दिया गया था। जिसके बाद दिल्ली से 25 टन वजनी एक नई अत्याधुनिक ऑगर मशीन मंगवाई गई। जिसकी खेप बुधवार को सेना के तीन हरक्यूलिस विमानों से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतारी गई।