केजरीवाल ब्रांड की राजनीति का रोडमैप तैयार करता दिख रहा बजट

वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को विधानसभा में दिल्ली प्रदेश का बजट 2022-23 पेश कर दिया। पूरे बजट (75,800 करोड़ रुपये) में एक बार फिर शिक्षा को सबसे ज्यादा 21.6 प्रतिशत (16,278 करोड़) धन आवंटित किया गया है, तो स्वास्थ्य के लिए 12.9 प्रतिशत (9769 करोड़) धन आवंटित किया गया है। सरकार ने इसके जरिए विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने का दावा किया है और कहा है कि अगले पांच वर्षों में 20 लाख नए रोजगार दिए जाएंगे। दिल्ली सरकार का बजट शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को सबसे ज्यादा प्रमुखता देता हुआ दिखाई पड़ता है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन्हीं मुद्दों के सहारे अपनी भविष्य की राजनीतिक यात्रा तय करना चाहते हैं, लिहाजा विशेषज्ञ इसे आम आदमी पार्टी का ‘सियासी बजट’ करार दे रहे हैं। माना जा रहा कि इन मुद्दों में कुछ पर सरकार बेहतर काम करने की कोशिश करेगी और आने वाले चुनावों में इसे जनता के सामने अपनी सफलता के रूप में पेश करेगी। लेकिन क्या यह बजट आम आदमी पार्टी की चुनावी नैया पार लगाने वाला साबित होगा? क्या अरविंद केजरीवाल इन्हीं मुद्दों के सहारे भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर पाएंगे?
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे ने अमर उजाला से कहा कि भाजपा इस समय हिंदुत्व, राष्ट्रवाद के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास को अपनी ताकत बनाए हुए है। यानी अलग-अलग प्रकार के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए उसकी झोली में अलग-अलग मॉडल उपलब्ध हैं। जो मतदाता हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को प्रमुखता देते हैं उसके लिए तो उसके पास आदर्श है ही, जो मतदाता शिक्षा-स्वास्थ्य और रोजगार को अपनी प्रमुखता समझते हैं, उनके लिए भी विभिन्न योजनाओं के जरिए भाजपा सरकारें काम करती हुई दिखाई पड़ती हैं।
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर भाजपा देश के आर्थिक विकास के लिए ‘मुफ्त वाली योजनाओं’ की विरोधी मानी जाती रही है। अटल सरकार और कुछ भाजपा राज्य सरकारों की कुछ योजनाओं में जनता को मुफ्त योजनाओं का लाभ अवश्य मिला, लेकिन प्रमुख रूप से वह विभिन्न मदों में सब्सिडी खत्म कर राष्ट्र को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की पक्षधर रही है। उसने पूर्व में दूसरे सरकारों की मुफ्त योजनाओं का विरोध भी किया है। वह यूपीए सरकार की मनरेगा योजना की विरोधी तक रही है।
बदलते समय में वह मुफ्त की योजनाओं की पधधर होती दिखाई पड़ रही है। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, अनाज योजना, आयुष्मान योजना और विभिन्न भाजपा सरकारों के कामकाज में भी यह शिफ्ट आता दिखाई पड़ रहा है। हो सकता है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की मुफ्त बिजली-पानी योजना की सफलता के कारण भाजपा की नीति में यह परिवर्तन आता दिखाई पड़ रहा हो। यदि यूपी चुनाव में सपा ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त करने का वादा किया और भाजपा ने किसानों को मुफ्त बिजली देने का वायदा किया तो इसे केजरीवाल मॉडल का दबाव माना जा सकता है।