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गरीबों की असाधारण मदद के लिए भारत की तारीफ

WORLD BANK

कोरोना काल में देश के गरीबों की असाधारण ढंग से मदद करने के लिए विश्व बैंक ने भारत की तारीफ की है। वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने  कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में भारत ने गरीब और जरूरतमंदों की जिस तरह मदद की वह तारीफ-ए-काबिल है।

विश्व बैंक ने ‘गरीबी एवं पारस्परिक समृद्धि रिपोर्ट’ जारी करते हुए कहा कि दूसरे देश को भी भारत से सबक लेना चाहिए। उन्हें भारत की तरह कदम उठाना चाहिए और गरीबों को सब्सिडी की बजाए नकद प्रत्यक्ष हस्तांतरण करना चाहिए। विश्व बैंक ने कहा कि महामारी की सबसे बड़ी कीमत गरीब लोगों को चुकानी पड़ी है।

गरीब देशों में बढ़ी गरीबी
वर्ल्ड बैंक के प्रमुख ने कहा कि महामारी के कारण गरीब देशों में गरीबी बढ़ गई। इन देशों में ऐसी अर्थव्यवस्थाएं सामने आईं जो अधिक अनौपचारिक हैं। ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां सामने आईं जो कमजोर हैं और ऐसी वित्तीय प्रणालियां दिखीं, जो कम विकसित हैं। इसके बाद भी कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने महामारी काल में कामयाबी पाई।

भारत ने इस तरह पाई कामयाबी
मालपोस ने कहा कि डिजिटल नकद हस्तांतरण के माध्यम से भारत ग्रामीण क्षेत्र के 85 फीसदी परिवारों को और शहरी क्षेत्र के 69 फीसदी परिवारों को खाद्य एवं नकद सहायता देने में कामयाब रहा।

दक्षिण अफ्रीका व ब्राजील ने भी इस तरह पाई सफलता
वहीं, दक्षिण अफ्रीका ने सामाजिक सुरक्षा के दायरे में सबसे बड़ा विस्तार किया और गरीबी राहत पर 6 अरब डॉलर खर्च किए। इससे करीब 2.9 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचा। उन्होंने बताया कि ब्राजील ने आर्थिक संकुचन के बावजूद 2020 में भीषण गरीबी को कम करने में सफलता हासिल की। परिवार आधारित डिजिटल नकद हस्तांतरण प्रणाली के दम पर उसने यह सफलता पाई।

सब्सिडी के बजाए नकद हस्तांतरण बेहतर विकल्प
विश्व बैंक के प्रमुख मालपास ने कहा कि व्यापक सब्सिडी के बजाए लक्षित नकद हस्तांतरण का विकल्प बेहतर है। इससे गरीबों और संवदेनशील समूहों को अधिक प्रभावी ढंग से मदद पहुंचती है। नकद हस्तांतरण पर 60 फीसदी से अधिक राशि निम्न वर्ग के 40 फीसदी लोगों तक पहुंचती है। इसलिए सब्सिडी के बजाए नकद हस्तांतरण ज्यादा प्रभावी है।

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