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गुनाह माता या पिता ने किया, लेकिन सलाखों के पीछे पांच मासूम, हाल जानने पहुंचा बाल आयोग

Dehradun: गुनाह माता या पिता ने किया, लेकिन सलाखों के पीछे उनके मासूम बच्चों को भी जाना पड़ा। जेल नियमावली के अनुसार, मासूमों को वो सब कुछ मिलना चाहिए, जिससे उनका बचपन कैद जैसा न लगे और मां की देखभाल मिल सके। नियमों का पालन ठीक से हो रहा है या नहीं, यह देखने के लिए मंगलवार को राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने टीम संग सुद्धोवाला जेल का औचक निरीक्षण किया।

‘मैं जेल में हूं, बाहर दोनों बेटे ड्रग्स की चपेट में बर्बाद हो रहे’

पति की हत्या के जुर्म में जेल में उम्रकैद की सजा काट रही महिला ने आयोग अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना को बताया कि उसके दो बेटे एक उन्नीस साल का दूसरा 12 का। मेरे जेल जाने से दोनों ड्रग्स की चपेट में आकर बर्बाद हो रहे हैं। आयोग अध्यक्ष ने 12 साल के बच्चे का आयोग की देखरेख में पुनर्वास का आदेश दिया, जिसके बाद बच्चे को आश्रय गृह में रखकर नशे की लत से बचाया जाएगा।
आयोग अध्यक्ष ने बताया, महिला कैदी ने पति हत्या कर दी थी। जेल में निरीक्षण के दौरान महिला ने बताया, उसके दोनों बेटे बर्बाद हो रहे हैं। यह सब बताते-बताते वह रोने लगी। चूंकि 12 साल के बच्चे का पुनर्वास बाल आयोग के क्षेत्राधिकार में आता है, इसलिए ऋषिकेश से उस बच्चे को दादा-दादी के पास से रिकवर कर पुनर्वास के निर्देश दिए गए हैं।

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