Fri. Nov 22nd, 2024

चमोली जिले के जोशीमठ कस्बे में लगातार हो रहे भूधंसाव

जोशीमठ: चमोली जिले के जोशीमठ कस्बे में लगातार हो रहे भूधंसाव का नए सिरे से सर्वे होगा। आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने इस संबंध में जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि भूधंसाव का सर्वे कर यह भी पता लगाया जाए कि क्षेत्र में कितने परिवार इससे प्रभावित हैं। उनका पुनर्वास किया जाएगा। इस संबंध में 15 जनवरी को बैठक होगी।

जोशीमठ लंबे समय से भूधंसाव की जद में है। सैकड़ों घरों में दरार पड़ने की बात सामने आ रही है। कुछ माह पहले शासन के निर्देश पर गठित वैज्ञानिकों की टीम ने वहां का सर्वे कर रिपोर्ट सौंपी थी। टीम ने समस्या के समाधान के लिए कई सुझाव भी दिए थे। इसी कड़ी में शासन ने सिंचाई विभाग को जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। 

आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा के मुताबिक, सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूरा कराकर क्षेत्र के हर घर को सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा। डीपीआर के लिए 20 जनवरी को टेंडर निकाला जा रहा है। डीपीआर बनाते हुए जियो टेक्निकल अध्ययन भी कराया जाएगा। सिंचाई विभाग के सचिव हरिचंद सेमवाल ने बताया कि अल्मोड़ा में ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है। अब जोशीमठ में भी कंसल्टेंट नियुक्त कर ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर तैयार की जाएगी।

जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की पिछले महीने हुई बैठक का कार्यवृत्त जारी किया गया है। इसके मुताबिक, शासन ने सोक पिट की रिपोर्ट मांगी है। यह बताना होगा कि जोशीमठ के लिए कितने सोक पिट बनाए गए हैं, उनके कनेक्शन की वर्तमान स्थिति क्या है। समिति ने जोशीमठ में प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा के उपाय करने को कहा है। अलकनंदा नदी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। कहा है कि जोशीमठ में 100 गुणा 100 वर्ग मीटर के अंतराल पर बीयरिंग कैपेसिटी का अध्ययन किया जाए। ताकि, अलग-अलग क्षेत्रों में भवन निर्माण संबंधी विशिष्ट प्रावधान किए जा सकें।
15 दिन के भीतर इसका विस्तृत प्लान मांगा गया है। शासन ने रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों से भी भवनों के डिजाइन को लेकर रिपोर्ट मांगी है। पूछा है कि जहां भूधंसाव हो रहा है, वहां भवनों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन कैसा होना चाहिए। जोशीमठ में भूधंसाव रोकने और भविष्य में बड़ी आपदा से बचने के लिए ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम को तत्काल दुरुस्त करना होगा।
वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. स्वप्नमिता चौधरी ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट इंटरफेयरोमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडार (इंसार) के जरिये जोशीमठ की तस्वीरों के अध्ययन के बाद सरकार को यह सुझाव दिया है। उनका कहना है कि जोशीमठ के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर भूधंसाव हो रहा है। इसके लिए काफी हद तक बदहाल सीवरेज प्रणाली और ड्रेनेज सिस्टम जिम्मेदार है। शहर में बारिश के दौरान जिन नालों से पानी बहता है, उनके आसपास या ऊपर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होने से पानी अलकनंदा नदी में पहुंचने के बजाय जमीन में जा रहा है। यह भूधंसाव का बड़ा कारण बन रहा है।
डॉ. स्वप्नमिता चौधरी के मुताबिक, उन्होंने वर्ष 2006 में भी जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर अध्ययन करने कर इसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। उस समय वह शासन में तैनात थीं। उस रिपोर्ट पर शासन स्तर पर क्या कार्रवाई हुई, इस बारे में जानकारी नहीं है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *