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चार साल में प्रदेश के 2100 किसानों का पंजीकरण हुआ

Dehradun: प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के सामने खाता खतौनी में खेती की जमीन खुद के नाम न होने की समस्या आड़े आ रही है। किसानाें को 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद पेंशन लाभ देने के लिए संचालित इस योजना में चार साल के भीतर मात्र 2100 किसानों का पंजीकरण हुआ है।

केंद्र सरकार ने छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना शुरू की। जिसमें 18 से 40 वर्ष की आयु के किसान जिनके पास दो हेक्टेयर तक कृषि भूमि है। वह 50 प्रतिशत अंशदान देकर पेंशन का लाभ लेने के पात्र हैं। लेकिन उत्तराखंड में इस आयु वर्ग के किसानों के पास खुद के नाम कृषि जमीन नहीं है। राजस्व रिकॉर्ड में जमीन माता-पिता के नाम दर्ज है। ऐसे में योजना का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या कम है। जबकि प्रदेश में छोटे किसानों की संख्या नौ लाख से अधिक है।

ये नहीं ले सकते हैं लाभ

राष्ट्रीय पेंशन योजना, राजकीय बीमा निगम योजना, कर्मचारी निधि योजना का लाभ ले रहे किसान योजना में शामिल नहीं हो सकते। इसके अलावा पूर्व और वर्तमान में संविधान पद पर कार्यरत, सरकारी नौकरी, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा सदस्य, निकायों के निर्वाचित पद, आयकर दाता, सेवानिवृत्ति के बाद 10 हजार से अधिक पेंशन धारक योजना के लिए पात्र नहीं हैं।

योजना में 50 प्रतिशत अंशदान केंद्र सरकार का

पीएम किसान मानधन योजना में पेंशन लाभ लेने के लिए आयु वर्ग के हिसाब से अंशदान निर्धारित है। जिसमें 50 प्रतिशत केंद्र सरकार भुगतान कर रही है। 18 साल का किसान योजना में पंजीकृत करता है तो उसे प्रति माह 55 रुपये देना होगा। जबकि 55 रुपये केंद्र सरकार देगी। 40 साल के किसान का कुल अंशदान 400 रुपये है। इसमें किसान को 200 रुपये भुगतान करना होगा।

प्रदेश में जिलावार पंजीकृत किसानों की स्थिति

जिला पंजीकृत किसानों की संख्या
अल्मोड़ा  103
बागेश्वर 49
चमोली 98
चंपावत 118
देहरादून 238
हरिद्वार 275
नैनीताल 139
पौड़ी 278
पिथौरागढ़ 156
रुद्रप्रयाग 77
टिहरी 116
ऊधमसिंह नगर 330
उत्तरकाशी 144

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