दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कीमतें नियंत्रित करने के लिए बनाई जाए व्यवस्था

Health themes. Background of a large group of assorted capsules, pills and blisters. Drug abuse.
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान एक संसदीय समिति ने कोविड-19 के प्रबंधन के लिए दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए विशेष रूप से एक नई मूल्य नियंत्रण व्यवस्था तैयार करने की सिफारिश की है इस समिति ने कहा कि जब तक देश से महामारी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाती है, तब तक कीमतों में कोई वार्षिक वृद्धि नहीं की जाए।
रसायन और उर्वरक को लेकर बनी संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को लोकसभा में पेश की गई कोरोना प्रबंधन के लिए दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता पर अपनी रिपोर्ट में प्रभावी मूल्य के लिए आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में कोरोना उपचार के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरणों को कवर करने की भी सिफारिश की। इस दौरान समिति ने महामारी से लड़ने और नियंत्रण के लिए दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर बुनियादी सीमा शुल्क और जीएसटी में छूट देने का सुझाव भी दिया।
समिति ने कोरोना महामारी से संबंधित दवाएं और चिकित्सा उपकरणों पर प्रभावी मूल्य नियंत्रण का सुझाव दिया। रेमडेसिवीर के उदाहरण का हवाला देते हुए पैनल ने कहा कि इसकी कीमत 5,400 रुपये प्रति शीशी तक थी, लेकिन प्रमुख निर्माताओं और विक्रेताओं द्वारा मनमाने रुपये लेने के कारण सरकारी हस्तक्षेप के बाद इसकी कीमत 3,500 रुपये प्रति शीशी से कम हो गई।
संसदीय स्थाई समिति ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण से कोविड -19 प्रबंधन के लिए दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए विशिष्ट एक नई मूल्य नियंत्रण व्यवस्था तैयार करने की सिफारिश की, ताकि कोरोना के लिए निर्धारित और गैर-निर्धारित दवाओं के बीच के अंतर को दूर किया जा सकता है।
समिति ने कहा कि फरवरी 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत में भारत उच्च सुविधा वाले आयातित वेंटिलेटर पर निर्भर था। समिति ने बताया कि वेंटिलेटर के लिए राज्यों और अस्पतालों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आईसीयू वेंटिलेटर के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया था। तब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को आपूर्ति के लिए लगभग 60,000 वेंटिलेटर के ऑर्डर दिए गए थे।