Sat. Aug 23rd, 2025

धधकते रहे जंगल.. दो लाख हेक्टेयर में किए इंतजाम फिर भी सैकड़ों हेक्टेयर वन राख

Dehradun: पिछले साल वन महकमे ने जंगल की आग से वनों को बचाने के लिए दो लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में नियंत्रित फुकान (कंट्रोल बर्निंग) किया। इसके बावजूद प्रदेश के वन धधकते रहे। ऐसे में वन महकमे का किया गया नियंत्रित फुकान सवालों में है।

यही नहीं जंगल की आग के नियंत्रण के लिए एक बड़ी रकम विभाग को तब जारी की गई, जब फायर सीजन खत्म हो रहा था। हालांकि इस बार पहले से अधिक चाकचौबंद इंतजाम होने का दावा किया जा रहा है। वन विभाग जंगल से आग से बचाव के लिए फायर लाइन की सफाई, कंट्रोल बर्निंग, जागरूकता अभियान चलाने जैसे प्रयास करता है। इन कोशिशों के बाद भी जंगल में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।

पिछले साल की बात करें तो जंगल को वनाग्नि से बचाने के लिए 25 वन प्रभागों में नियंत्रित फुकान का काम किया गया, इसमें वन विभाग 201253.94 हेक्टेयर में नियंत्रित फुकान किया था। इसके बाद भी 1273 घटनाएं हुईं, इनमें 1768 हेक्टेयर जंगल में जैव विविधता प्रभावित हुई। 

कंट्रोल बर्निंग के प्रभावों को लेकर अध्ययन नहीं
वन विभाग जंगल से आग से बचाव के लिए सूखी पत्तियां जैसे फ्यूल लोड वनों में होता है, उसको हटाने के लिए उसे नियंत्रित तौर पर जलाया (कंट्रोल बर्निंग) जाता है। पर जिन प्रभागों और स्थानों पर कंट्रोल बर्निंग होती है वहां क्या प्रभाव पड़ा है, शायद ही कभी इसका अध्ययन किया गया हो। जबकि वन विभाग में कर्मियों की टीम से लेकर वन अनुसंधान जैसी शाखा भी है। कंट्रोल बर्निंग के प्रभाव के अध्ययन को लेकर अधिकारियों के पास भी सटीक जवाब नहीं है।

मई, जून में जारी हुआ करोड़ों का बजट

15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन होता है। वन विभाग ने वनाग्नि नियंत्रण के लिए बजट जारी करने के कई आदेश हुए। इसमें बड़ी रकम मई और जून में जारी हुई। पिछले साल में मार्च में पहले नौ लाख की राशि जारी हुई। जबकि एक करोड़ दस लाख की राशि जारी करने का आदेश 20 जून को किया गया। वहीं, कैंपा से भी 20 मई को सवा पांच करोड़ से अधिक की राशि जारी की गई।

जंगल की आग नियंत्रण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें जंगल से फ्यूल लोड हटाने के लिए 10 रुपये प्रति किलो पिरुल देने का आदेश किया गया है। फायर लाइन की सफाई का काम किया जा रहा है। अन्य कदम भी उठाए गए हैं। रही बात कंट्रोल बर्निंग की तो यह जंगल से फ्यूल लोड को कम करने की एक प्रक्रिया है, जिससे बड़े नुकसान को रोका जा सके। -आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव वन

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *