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पीसीएस की मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र उत्तराखंड के बारे में जानकारियों से संबंधित हो सकते

Dehradun: पीसीएस की मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र उत्तराखंड के बारे में जानकारियों से संबंधित हो सकते हैं। साथ ही सरकार अपने उन कर्मचारियों को आयु सीमा में छूट पर विचार कर सकती है, जो पीसीएस की परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं।

इन दोनों प्रस्तावों पर शासन में एक अहम बैठक भी हो चुकी है। माना जा रहा है कि कार्मिक विभाग इन दोनों प्रस्तावों को प्रदेश मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। सचिव कार्मिक शैलेश बगौली ने दोनों प्रस्ताव पर विचार करने की पुष्टि की है। पिछले काफी समय से यह मांग हो रही कि पीसीएस की मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन के दो प्रश्न पत्र उत्तराखंड से संबंधित हों।

इन प्रश्नपत्रों में यूपी लोकसेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा की तरह सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र हों, जिनमें इतिहास, सभ्यता, संस्कृति, वास्तुकला, प्रमुख आंदोलन, ग्रामीण समाज, कृषि, उद्यानिकी, सामाजिक संरचना, जनजातीय सरोकार, अर्थव्यवस्था, शासन प्रणाली, भाषा, बोली, वन, पर्यावरण, उद्योग, योजना, मानव संसाधन, कौशल विकास समेत कई अन्य स्थानीय जानकारियों से संबंधित प्रश्न पूछे जाएं।भाजपा नेता और राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान पिछले दिनों इस मांग को लेकर सचिव कार्मिक से अनुरोध किया। इससे पहले भी वह मुख्यमंत्री से इस मुद्दे को उठा चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, शासन में पिछले दिनों सचिव कार्मिक ने इस संबंध में बैठक की।

इस बैठक में लोक सेवा आयोग के अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में दोनों प्रस्तावों पर चर्चा हुई। माना जा रहा कि उच्च स्तर पर चर्चा के बाद कार्मिक विभाग प्रश्नपत्रों में बदलाव के संबंध एक प्रस्ताव आगामी कैबिनेट की बैठक में रख सकता है।

राज्य बनने के बाद पीसीएस की मुख्य परीक्षा में उत्तराखंड के सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन का प्रतिशत काफी कम रहा है। उत्तराखंड की जानकारी से संबंधित दो प्रश्नपत्र मुख्य परीक्षा में शामिल होते हैं तो इससे राज्य के अभ्यर्थियों का चयन प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। – रविंद्र जुगरान, भाजपा नेता

पीसीएस मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्रों और आयुसीमा छूट दिए जाने के मसले पर पिछले दिनों एक बैठक शासन स्तर पर हुई। अभी इस पर विचार हो रहा है। इसकी एक प्रक्रिया है, फिर यह प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखने पर विचार होगा।
– शैलेश बगौली, सचिव कार्मिक

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