Wed. Mar 12th, 2025

बदला मेडल सेरेमनी का रूप…एथलीट के लिए पदक लेकर आया मौली रोबोट, रोवर ने उठाए चक्के

Dehradun: राष्ट्रीय खेलों में एथलेटिक्स मुकाबलों के बाद मेडल सेरेमनी का स्वरूप बदला हुआ नजर आया। विजेता एथलेटिक्स के लिए मेडल मौली रोबोट लेकर आया। इसके बाद अतिथियों ने विजेताओं को मेडल पहनाए। साथ ही दूसरे मुकाबलों में एक रोवर की चहलकदमी आकर्षण का केंद्र बनी। डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) मुकाबलों में दूर फेंके गए चक्कों को कोई कर्मचारी नहीं, बल्कि यह रोवर ही खिलाड़ियों तक लेकर आया। आगे भी एथलेटिक्स मुकाबलों में मेडल सेरेमनी में मौली रोबोट का प्रयोग किया जाएगा।

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में शनिवार को राष्ट्रीय खेलों में यह मौका एथलेटिक्स इवेंट की मेडल सेरेमनी का था। खिलाड़ियों से लेकर बड़ी संख्या में वहां दर्शक मौजूद थे। सभी उम्मीद कर रहे थे कि कुछ ही देर में होने वाली मेडल सेरेमनी परंपरागत रूप से ही आयोजित होगी। मगर अगले ही पलों में मेडल सेरेमनी का पूरा रूप ही बदला नजर आया। रिमोट कंट्रोलर की कमांड से मौली रोबोट में हरकत शुरू हुई। वह एक ट्रे में मेडल लेकर विजेताओं के पास पहुंचा। अतिथियों ने मेडल उठाए और विजेताओं के गले में पहना दिए।

राष्ट्रीय खेलों में मेजबान उत्तराखंड ने रोबोटिक तकनीक से जुड़ी पहल कर सभी को सुखद अनुभूति से भर दिया। हालांकि, एथलेटिक्स इवेंट को छोड़कर अन्य में परंपरागत रूप से ही मेडल सेरेमनी आयोजित की गई। यानी हाथ में ट्रे लेकर युवतियां ही विजेताओं के लिए मेडल लाईं। एथलेटिक्स के करीब 40 इवेंट होने हैं। खेल निदेशक प्रशांत आर्या के अनुसार एथलेटिक्स के अधिकतर इवेंट में मेडल सेरेमनी के दौरान मौली रोबोट का ही इस्तेमाल किया जाएगा।

उत्तराखंड पुलिस की ड्रोन टीम ने तैयार किए रोबोट और रोवर
मौली रोबोट के विचार पर उत्तराखंड पुलिस की ड्रोन टीम ने एक प्राइवेट फर्म डीटाउन रोबोटिक्स के साथ मिलकर काम किया। ड्रोन टीम के विपिन कुमार, दीपांकर बिष्ट, प्रशांत चंद्र, दीपक बिष्ट, अभिषेक कुमार, प्रज्ज्वल रावत ने करीब डेढ़ महीने इस प्रोजेक्ट पर काम किया। मेडल सेरेमनी में जहां मौली रोबोट ने काम किया, वहीं डिस्कस के इवेंट के दौरान एक अन्य रोबोट ने सहयोग किया। ओलंपियन मनीष रावत के अनुसार मेडल सेरेमनी में रोबोट का इस्तेमाल उन्होंने पहली बार देखा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश थे कि राष्ट्रीय खेलों में तकनीकी पहल भी होनी चाहिए। इसलिए, रोबोटिक तकनीक की मदद लेकर यह प्रयोग किया गया। हैमर थ्रो, जेवलिन थ्रो, डिस्कस थ्रो जैसी एथलेटिक्स इवेंट में भी हम रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मानव संसाधन पर निर्भरता कम कर रहे हैं।
– अमित सिन्हा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय खेल

38वें राष्ट्रीय खेल में खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन के अलावा कई अभिनव पहल भी पूरे देश को दिखाई दे रही हैं। तकनीकी पहल भी अब राष्ट्रीय खेलों के साथ जुड़ गई है। हमारी कोशिश ये ही है कि नई तकनीक का पूरा लाभ लेते हुए खेल विकास के लिए कार्य किया जाए।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *