भारतीय तेल कंपनियों को हुआ 19000 करोड़ का घाटा
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में आया उछाल भारतीय तेल कंपनियों के लिए बेहद नुकसानदायक रहा है। मुडीज की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में इजाफे के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखना तेल कंपनियों पर भारी पड़ा है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इससे सिर्फ मार्च महीने में ही तेल कंपनियों को 19000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मूडीज इनवेस्टर सर्विस की गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि क्रूड की ऊंची कीमतों के बीच खुदरा कीमतों में कोई बढ़ोतरी न करने से मार्च महीने में आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को कुल मिलाकर 2.25 अरब डॉलर यानि 19 हजार करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि देश में 4 नवंबर 2021 से 21 मार्च 2022 तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई भी बदलाव नहीं किया गया था। हालांकि, बीते दो दिनों में देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1.6 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया जा चुका है। जबकि, इनके दाम में अभी और बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है। मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 82 डॉलर प्रति बैरल थी, जो बीते दिनों अपने 14 साल के शिखर पर 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। हालांकि, इसके बाद मार्च के बीते तीन हफ्तों में इसका दाम 111 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास बनी रही। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्तमान बाजार भाव के हिसाब से देखें तो तेल कंपनियां पेट्रोल पर 25 डॉलर प्रति बैरल और डीजल पर 24 डॉलर प्रति बैरल का नुकसान उठा रही हैं। इसमें कहा गया कि अगर कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा औसत 111 डॉलर प्रति बैरल के करीब बनी रहती हैं और पेट्रोल और डीजल कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता तो तीनो तेल कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को हर दिन 6.5 से 7 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा।