Fri. Nov 22nd, 2024

भूमि देकर बड़े अस्पतालों को आमंत्रित करना चाहिए

Hospital building sign closeup, with sky reflecting in the glass.

गोपेश्वर: चमोली जिले में स्वास्थ्य सेवाएं सरकारी सिस्टम के भरोसे हैं। यहां चिकित्सकों की भारी कमी है। इससे बड़ी मुसीबत दूरस्थ गांवों से मरीज को चिकित्सालय तक लाना है। भूमि देकर बड़े अस्पतालों को पहाड़ों में आमंत्रित करना चाहिए। इसी को लेकर दैनिक जागरण ने जिला मुख्यालय गोपेश्वर के संजीवनी हेल्थ केयर सेंटर में विशेषज्ञों के साथ टेबल टाक का आयोजन किया। जिसमें चिकित्सा से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

जिले में जिला मुख्यालय गोपेश्वर के अलावा अन्य सभी जगह अल्ट्रासाउंड मशीनें विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते बंद पड़ी हैं। सीटी स्कैन जांच के लिए श्रीनगर या देहरादून पर यहां की जनता निर्भर है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी होने से सही इलाज नहीं हो पाता है। जनता को नई सरकार से उम्मीद है कि वह यहां पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, जांच की सुविधा और आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराएगी।

दिक्कतें

-बेहतर सड़क, हेली कनेक्टिविटी या बेहतर स्कूल न होने से विशेषज्ञ चिकित्सक आने को कतराते हैं।

-चिकित्सालयों में आधुनिक जांच मशीनें, ओटी उपलब्ध न होने से चिकित्सक अपने भविष्य के प्रति चितित रहते हैं।

-पैदल मार्ग के गांवों से सड़क मार्ग तक मरीजों को लाने की दिक्कत।

-चिकित्सालयों में चिकित्सकों की कमी से सही उपचार की दिक्कत।

-गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जांच के लिए दिक्कत, गर्भवती महिलाओं की मौत की घटनाएं आम।

-पहाड़ में चिकित्सकों के स्थानांतरण के बाद फिर स्थानांतरण के लिए समय सीमा नहीं। सुझाव

-चिकित्सकों को पहाड़ में सेवा के लिए हिमाचल की तरह पालिसी बने।

-तैनाती समय सीमा समाप्त होने के बाद मैदानों में हस्तांतरण।

-पहाड़ों में सेवा देने वाले चिकित्सकों को मैदानी क्षेत्रों में परिवार व बच्चों की शिक्षा के लिए सरकारी आवास की सुविधा हो।

-बीमार के लिए त्वरित एंबुलेंस व हेली रेस्क्यू सुविधा हो।

-चिकित्सालयों में आधुनिक जांच मशीनों के साथ तकनीकी कर्मचारियों की तैनाती।

-गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए एक माह पूर्व ही सुविधाजनक हास्पिटल में देखरेख की व्यवस्था।

——————–

सीमांत क्षेत्र में गंभीर होने पर ही मरीज उपचार के लिए अस्पताल आते हैं। जिससे उनके सामने त्वरित ट्रीटमेंट की समस्या होती है। जिले में बड़े प्राइवेट चिकित्सालय नहीं हैं। जिससे लोग मैदानी क्षेत्रों में जाने को मजबूर हैं।

-डा.आनंद शुक्ला, चिकित्सा अधीक्षक संजीवनी चिकित्सालय गोपेश्वर।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *