यूक्रेन युद्ध से 1.6 अरब लोगों पर गहराया भुखमरी का संकट
संयुक्त राष्ट्र ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के प्रभावों पर अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि वैश्विक खाद्य संकट को रोकने के लिए समय अब बेहद कम है। ग्लोबल क्राइसिस रिस्पांस ग्रुप (जीसीआरजी) ने खुलासा किया है कि इस संघर्ष के चलते दुनिया के 94 देशों में अनुमानित 1.6 अरब लोगों को वित्त, भोजन, या ऊर्जा संकट में से कम से कम एक से रूबरू कराया है। इनमें से लगभग 1.2 अरब लोग अत्यधिक प्रभावित देशों में रहने वाले हैं, जिन्हें तीनों संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
भोजन की उपलब्धता होगी कम
आठ जून को प्रकाशित रिपोर्ट में सलाह देते हुए कहा गया है कि रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची खाद्य और ईंधन की कीमतों को स्थिर करने, सामाजिक सुरक्षा के लिए कदम उठाने और विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए काम करना होगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2023 में खाद्य संकट को रोकने के लिए समय कम है, जिसमें हमें भोजन की पहुंच और भोजन की उपलब्धता दोनों की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कहा गया कि अगर युद्ध आगे भी जारी रहता है और अनाज और उर्वरकों की उच्च कीमतें अगले सीजन में भी बनी रहती हैं, तो सबसे खराब समय में भोजन की उपलब्धता कम हो जाएगी। यहीं नहीं वर्तमान में मकई, गेहूं और वनस्पति तेल से जुड़े संकट और बढ़ जाएंगे, जिससे अरबों और लोगों प्रभावित होंगे।
खाद्य असुरक्षा वाले लोगों की संख्या बढ़ी
गौरतलब है कि कोरोना संकट के बाद दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ते हुए 27.6 करोड़ तक पहुंच गई है, जो पहले 13.5 करोड़ थी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के प्रभाव ने जीवन संकट पैदा हो रहा है, जिससे कोई भी देश या समुदाय बच नहीं सकता है। दुनियाभर के देशों को अब जीवन और आजीवका को बचाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा।
गेहूं की कीमतें आसमान पर पहुंची
रूस-यूक्रन युद्ध के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देशों में से एक है। जब से यह युद्ध शुरू हुआ है दुनियाभर में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड तेजी से बढ़ी हैं। गुतारेस ने कहा कि यूक्रेन संकट के चलते दुनिया भर में संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग चलते हुए तीन महीने बीत चुके हैं और अब नई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में भूख का संकट बढ़ रहा है और यदि कोई उपाय नहीं किए गए तो फिर इसमें और इजाफा हो सकता है।