लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तराखंड की पांच सीटों में फ्लोटिंग वोटर अहम भूमिका निभा सकते हैं
Dehradun: लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तराखंड की पांच सीटों में फ्लोटिंग वोटर अहम भूमिका निभा सकते हैं। किसी भी प्रत्याशी की हार को जीत में बदलने में फ्लोटिंग वोटर की अहम भूमिका रहती है। इस समय राजनीतिक दल और प्रत्याशियों की नजरें फ्लोटिंग वोटर पर टिकी हुई है।
वर्ष 2014 और 2019 के लोक सभा चुनावों में उत्तराखंड की पांच सीटों टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा में भाजपा का कब्जा रहा था। वर्ष 2014 के चुनावों में देखा जाए तो नैनीताल सीट को छोड़कर अन्य सीटों में हार-जीत का अंतर कम रहा था। वर्ष 2019 में हुए लोक सभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर फिर से कमल खिला था। हार-जीत का अंतर भी काफी बड़ा था। पौड़ी, टिहरी और नैनीताल सीटों में हार-जीत का अंतर तीन-तीन लाख से अधिक सीटों टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा में भाजपा का कब्जा रहा था। वर्ष 2014 के चुनावों में देखा जाए तो नैनीताल सीट को छोड़कर अन्य सीटों में हार-जीत का अंतर कम रहा था।
वर्ष 2019 में हुए लोक सभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर फिर से कमल खिला था। हार-जीत का अंतर भी काफी बड़ा था। पौड़ी, टिहरी और नैनीताल सीटों में हार-जीत का अंतर तीन-तीन लाख से अधिक रचा था। मोदी लहर में भाजपा को 60.7 प्रतिशत मत मिले थे जो वर्ष 2014 के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक थे। पिछले दो चुनावों की तरह इस बार भी राज्य की पांचों सीटों पर मुख्य मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस को ही माना जा रहा है। ऐसे में फ्लोलिंग मतदाता का रुख किस ओर होगा यह भी देखने वाली बात होगी।
कौन होते हैं फ्लोटिंग मतदाता
फ्लोटिंग मतदाता ऐसे वोटर होते हैं जो अंतिम समय में किसी प्रत्याशी या दल के पक्ष में मतदान के लिए अपनी राय बनाते हैं। इनकी संख्या सात से आठ फीसदी ही होती है, लेकिन यदि कांटे का मुकाबला हो तो ये फ्लोटिंग मतदाता किसी भी सीट पर प्रत्याशी के भाग्य का फैसला कर सकते हैं।