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सतर्कता विभाग (एसीबी) दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सलाहकार अंकित श्रीवास्तव के खिलाफ जांच करेगा।

दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सलाहकार अंकित श्रीवास्तव के खिलाफ सतर्कता विभाग (एसीबी) ने एंटी करप्शन ब्यूरो को मामला भेजा है। इसमें कहा गया है कि एसीबी मामले की जांच करें। सतर्कता विभाग के विशेष सचिव वाईवीवीजे राज शेखर ने एसीबी के संयुक्त आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि अंकित श्रीवास्तव मौजूदा समय में भी दिल्ली जल बोर्ड के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्य बने हुए हैं। वह ग्रुप में बोर्ड के अधिकारियों को आदेश व निर्देश दे रहे हैं, जबकि उन्हें सलाहकार के पद से हटा दिया गया है। वह मौजूदा समय में मुख्यमंत्री के आवास कैंप ऑफिस के नाम पर आदेश दे रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा कि दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मामले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही है।इससे पहले बीती नौ अप्रैल 2024 को प्रदेश भाजपा ने दावा किया था कि दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि जल बोर्ड के पास बीते नौ साल में 28,400 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं है। इसे बड़ा घोटाला करार देते हुए भाजपा ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। भाजपा विधायकों ने एक मंच से दिल्ली सरकार को घेरा था। पार्टी का आरोप था कि 2013 से जल बोर्ड में घोटालों का खेल शुरू हो गया था।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा था कि एक तरफ दिल्ली की जल मंत्री आतिशी कहती है कि उन्हें पैसा नहीं दिया जा रहा है। वहीं, 2016-17 से अब तक जल बोर्ड के खाते का ऑडिट ही नहीं किया गया। सचदेवा ने कहा था कि नौ मार्च को आतिशी ने एक पत्र लिखा था। इससे खुलासा हुआ कि 59 फीसदी पानी से कोई रेवेन्यू नहीं आता और अतिरिक्त 15 फीसदी पानी के उपयोग पर कोई पारदर्शिता नहीं है।

दिल्ली जल बोर्ड में 74 फीसदी पानी का कोई हिसाब नहीं हो रहा। यानी सिर्फ 26 फीसदी पानी से ही पूरा जल बोर्ड चल रहा है। इतना ही नहीं 2021- 22 के तो खाते ही गायब हैं। दिल्ली जलबोर्ड केजरीवाल के भ्रष्टाचार का प्रमुख अड्डा बन चुका है। रिहायशी इलाकों में चार दिन पहले ही जल इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज बढ़ाया गया है।

16 अक्टूबर 2020 में 200 स्क्वायर मीटर में खर्च 2,15,200 रुपये था जो अब 3,44,320 रुपए हो गए हैं। इतना ही नहीं कॉमर्शियल प्रॉपर्टी 32,8800 रुपये से 516480 रुपये कर दिया गया। इस दौरान भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय महावर, अनिल वाजपेयी, जितेंद्र महाजन ने भी जल बोर्ड घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।

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