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सरकारी स्कूलों के बेहतर किए जाने के दावे फेल

केंद्र सरकार से प्राप्त अनुमोदन के अनुरूप धनराशि संबंधित प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के खातों में भेज दी गई है।

प्रदेश में कई सरकारी स्कूलों में जरूरी सुविधाओं का अभाव बना है, इसके बावजूद इन स्कूलों के लिए जारी बजट तय समय पर खर्च नहीं हो पाया है। यह स्थिति तब है जबकि इन स्कूलों को निजी से बेहतर किए जाने के लगातार दावे किए जा रहे हैं। हाल यह है कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने के केवल दो दिन बचे हैं। विभाग की ओर से स्कूलों में पुस्तकालयों के लिए 13 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी की ओर से मंगलवार को समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेश के मुताबिक समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2021-22 में राजकीय विद्यालयों में पुस्तकालय अनुदान की धनराशि अनुमोदित की गई है। इस धनराशि का उपयोग विगत सत्र में 21 जनवरी 2020 में दिए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर किया जाना है।
आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार से प्राप्त अनुमोदन के अनुरूप धनराशि संबंधित प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के खातों में भेज दी गई है। जिससे पुस्तकालयों के लिए चयनित पुस्तकें खरीदी जानी है। हर स्कूल के लिए मंजूर 80 फीसदी धनराशि से एनसीईआरटी, एनबीटी, साहित्य अकादमी आदि की पुस्तकें खरीदी जानी है।

आदेश में कहा गया है कि राज्य परियोजना कार्यालय स्तर से उपलब्ध कराई गई पुस्तकों की सूची में से ही पुस्तकें खरीदी जाएंगी। यदि किसी भी स्कूल ने इसके अलावा पुस्तकें खरीदी तो शिकायत पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा 20 फीसदी धनराशि से क्षेत्रीय भाषा एवं साहित्य से संबंधित पुस्तकें खरीदी जानी हैं।

आदेश में यह भी कहा गया है कि पुस्तकें किसी भी स्थिति में तय मूल्य से अधिक पर नहीं खरीदी जाएगी। पुस्तकें वित्तीय वर्ष 2021-22 में खरीदे जाने के लिए तत्काल कार्यवाही की जाए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि केंद्र से पुस्तकालय के लिए देरी से पैसा मिलने की वजह से इसके लिए मिली धनराशि जारी करने में देरी हुई है।
प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों को पांच हजार, जूनियर को 13 हजार, हाईस्कूल को 15 हजार एवं इंटर कालेजों को 20 हजार रुपये पुस्तकालयों में पुस्तकें खरीदने के लिए जारी की गई है।

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