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हरिद्वार सीट पर प्रत्याशियों के सामने चुनौतियां भी अपार

हरिद्वार : गंगा तीर्थ, चारधाम यात्रा, महाकुंभ, शक्तिपीठ मां मनसा देवी-चंडी देवी, हरकी पैड़ी और भेल के साथ-साथ योग-आयुर्वेद और अध्यात्म नगरी के तौर पर दुनियाभर में पहचान रखने वाले हरिद्वार की लोकसभा में चुनावी शोरगुल अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है।

यह लोकसभा सीट यूं तो कई मायने में जुदा है लेकिन यूपी से मिलती सीमाएं, राजनीतिक समीकरण, भाजपा-कांग्रेस के बीच खींचतान इसे अलग बनाती है। इस बार प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदाताओं वाली इस सीट पर मुकाबला काफी रोचक है। कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं।
भाजपा ने जहां अपने अनुभवी व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरे के तौर पर वीरेंद्र रावत पर दांव लगाया है। 1977 से लेकर 2019 तक इस सीट पर भाजपा सर्वाधिक छह बार, एक बार बीएलडी, एक बार जेएनपी-एस और एक बार समाजवादी पार्टी जीत दर्ज कर चुकी है। आखिरी बार कांग्रेस ने 2009 में यहां जीत दर्ज की थी। अब सवाल ये है कि क्या भाजपा इस बार यहां जीत की हैट्रिक लगाएगी या कांग्रेस 15 साल पुराना इतिहास दोहराएगी।

15 साल पुराना इतिहास दोहराने की चुनौती
हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत 14 विधानसभा आती हैं। इनमें 11 हरिद्वार जिले की और तीन देहरादून जिले की हैं। हरिद्वार की 11 में से तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा, पांच पर कांग्रेस, दो पर बसपा व एक पर निर्दलीय का कब्जा है। वहीं, देहरादून जिले की धर्मपुर, डोईवाला और ऋषिकेश सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। भाजपा ने लगातार दो चुनावों में 50 प्रतिशत से ऊपर वोट हासिल कर सांसद बने डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के बजाए इस बार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है। वहीं, मैदानी लोकसभा की जंग में कांग्रेस ने 2009 में यहां से सांसद रहे राज्य के पूर्व सीएम हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत पर दांव खेला है। हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत इस लोकसभा से 2014 का चुनाव हार चुकी हैं। उनके पास 15 साल पुराना इतिहास दोहराने की चुनौती है।
प्रमुख मुद्दे
-ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद हरिद्वार में लगातार होने वाली बिजली कटौती ने आम जनता के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र भी प्रभावित।
-प्रदूषण की दृष्टि से भी हरिद्वार के लिए चुनौतीपूर्ण हालात। यहां सीवरेज व्यवस्था ठीक न होने के कारण गंगा में प्रदूषण तो फैल ही रहा है, इसके अलावा तमाम औद्योगिक इकाइयां भूगर्भ जल को भी प्रदूषित कर रही हैं। वायु व ध्वनि प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है।
-स्थानीय मुद्दे गंगा में प्रदूषण और अवैध खनन के खिलाफ गंगा रक्षा आंदोलन, राममंदिर आंदोलन, अधूरा हाईवे, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, बाढ़ग्रस्त इलाकों की सुरक्षा का ठोस बंदोबस्त का न होना।
किस चुनाव में हरिद्वार सीट पर किसका रहा कब्जा
आम चुनाव विजेता पार्टी
  • 1977 भगवान दास बीएलडी
  • 1980 जगपाल सिंह जेएनपी-एस
  • 1984 सुंदर लाल कांग्रेस
  • 1989 जगपाल सिंह कांग्रेस
  • 1991 राम सिंह भाजपा
  • 1996 हरपाल साथी भाजपा
  • 1998 हरपाल साथी भाजपा
  • 1999 हरपाल साथी भाजपा
  • 2004 राजेंद्र कुमार सपा
  • 2009 हरीश रावत कांग्रेस
  • 2014 डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा
  • 2019 डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा
हरिद्वार लोकसभा से जुड़ीं रोचक बातें
-1977 से पहले यह क्षेत्र बिजनौर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता था।
-1977 में पहली बार हरिद्वार लोकसभा अस्तित्व में आई थी।
-1989 में यहां बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव लड़ा था, जहां से हार के बावजूद उनका राजनीतिक कॅरियर बनता चला गया।
-हरिद्वार लोकसभा में अब तक 12 आम चुनाव हुए। इनमें से छह बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस, एक बार बीएलडी, एक बार जेएनपी-एस और एक बार समाजवादी पार्टी जीत दर्ज कर चुकी है।
राज्य बनने के बाद चार परिणाम
2004
भाजपा- 117979(24.25 प्रतिशत)
कांग्रेस- 76001(15.72 प्रतिशत)
अन्य- 50.13 प्रतिशत

2009

भाजपा- 204823(25.99 प्रतिशत)
कांग्रेस- 332235(42.16 प्रतिशत)
अन्य- 31.85 प्रतिशत
2014
भाजपा- 592320(50.38 प्रतिशत)
कांग्रेस- 414498(35.25 प्रतिशत)
अन्य- 14.37 प्रतिशत
2019
भाजपा- 665674(52.28 प्रतिशत)
कांग्रेस- 406945(31.96 प्रतिशत)
अन्य- 15.76 प्रतिशत
मायावती ने बसपा की शुरुआत की
बसपा सुप्रीमो मायावती ने बसपा के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से 1989 में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह 22.63 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं। इसके बाद उन्होंने 1991 में दोबारा चुनाव लड़ा। यहां वह 4.28 प्रतिशत मतों के साथ चौथे स्थान पर चली गईं। 1996 में बसपा ने यहां प्रत्याशी बदला। बसपा के इलम सिंह वैसे तो तीसरे स्थान पर रहे लेकिन मत प्रतिशत बढ़कर 25.85 प्रतिशत पर पहुंच गया। राज्य बनने से पहले बसपा को 1998 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार में 24.24 प्रतिशत, 1999 में बसपा को 30.59 प्रतिशत, 2004 में बसपा को 24.60 प्रतिशत, 2009 में 23.01 प्रतिशत, 2014 में 9.67 प्रतिशत, 2019 में 13.63 प्रतिशत वोट मिले थे।
सीट का जातीय समीकरण
हरिद्वार लोकसभा सीट में कुल मतदाताओं की बात करें तो करीब 27 प्रतिशत मुस्लिम, 24 प्रतिशत ठाकुर, 22 प्रतिशत ब्राह्मण और 22 प्रतिशत एससी-एसटी व पांच प्रतिशत अन्य हैं।
हरिद्वार लोकसभा सीट के बारे में
20,35,726 कुल मतदाता हैं
10,70,828 पुरुष मतदाता हैं
9,64,739 महिला मतदाता हैं
159 ट्रांसजेडर मतदाता हैं
5746 सर्विस मतदाता हैं
2319 पोलिंग स्टेशन हैं
ये है विधानसभाओं का गणित
हरिद्वार लोकसभा के अंतर्गत 14 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से छह सीटें भाजपा, पांच कांग्रेस, दो बसपा के पास हैं। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विधायक है।

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