डिप्टी रेंजरों से रेंज का प्रभार वापस

नैनीताल : नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी प्रदेश का वन महकमा वन क्षेत्राधिकारियों (रेंजर) को रेंज का चार्ज देने में उदासीन रवैया अपनाए हुए है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद वन विभाग में डिप्टी रेंजरों से प्रभार वापस ले लिया है, लेकिन अभी तक वेटिंग में चल रहे रेंजरों को इन रेंजों का चार्ज नहीं दिया गया है। इससे वन क्षेत्राधिकारियों में रोष है।
वन विभाग में 52 वन क्षेत्राधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें क्षेत्रीय रेंजों का चार्ज न देकर अक्षेत्रीय रेंजों (विभागीय कार्यालयों) में बैठाया गया है। जबकि, डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज दे दिया गया था। इस पर कई रेंजर हाईकोर्ट की शरण में चले गए। सुनवाई के दौरान तत्कालीन प्रमुख वनसंरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल दो तिथियों 23 मार्च और 26 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। हाईकोर्ट ने इस मामले फटकार लगाते हुए रेंजरों को ही रेंज का चार्ज देने के निर्देश दिए थे।
इसके साथ जिन अधिकारियों ने नियमों के विरुद्ध डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज सौंपा था, उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सभी डिप्टी रेंजरों से रेंज का प्रभार वापस ले लिया गया, जबकि 11 रेंजरों को रेंज कार्यालयों में तैनाती दी गई, लेकिन अभी भी 41 रेंजर फील्ड में उतरने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, इनमें से कुछ रेंजर ऐसे भी हैं, जो अक्षेत्रीय रेंजों में ही काम करना चाहते हैं। इनमें कुछ महिला वनक्षेत्राधिकारी भी शामिल हैं।
हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में एक मामले में रेंजों का चार्ज के वनक्षेत्राधिकारियों को ही देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद कई प्रभागीय वनाधिकारियों ने डिप्टी रेंजराें को रेंज का जार्च सौंप दिया। 26 अप्रैल को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इसके बाद हॉफ की ओर से दो सदस्य कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए गए हैं। इस कमेटी में पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन और एपीसीसीएफ बीबी गुप्ता शामिल हैं, जिन्हें 14 दिन में अपनी रिपोर्ट देनी थी।