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उत्तराखंड में विशेषज्ञ डॉक्टर के लगभग 1,100 पद सृजित : स्वास्थ्य विभाग

Dehradun: प्रदेश में कार्डियाेलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन समेत सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर की कमी दूर नहीं हो पा रही है। सरकार ने प्रति माह छह लाख रुपये का मानदेय देने का ऑफर दिया है। बावजूद इसके एक भी सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर नहीं मिले हैं। संविदा पर सुपर स्पेशियलिस्ट पहाड़ों में सेवाएं देने को तैयार नहीं है। इससे सरकार के प्रयासों को भी झटका रहा है। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टर के लगभग 1,100 पद सृजित हैं। इसमें 56 प्रतिशत पद खाली हैं। एमबीबीएस डॉक्टर तो उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या विशेषज्ञ और सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर की है।

विशेषज्ञ और सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर की कमी को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। यू कोट वी पे योजना के तहत 46 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर को संविदा आधार पर तैनाती दी गई। जिन्हें प्रति माह चार लाख रुपये तक मानदेय दिया जा रहा है। कार्डियोलॉजी व न्यूरो सर्जन में सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर के लिए कोई आवेदन नहीं मिला है। जल्द ही दोबारा से आवेदन मांगे जाएंगे।

 -डॉ. आर राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य

इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने यू कोट वी पे योजना को शुरू किया है। योजना के तहत दो चरणों में हुए साक्षात्कार में स्वास्थ्य विभाग को 46 हड्डी रोग, बाल रोग, स्त्री रोग जनरल सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थीसिया मिले हैं। जिनकी तैनाती प्रदेश भर के अस्पतालों में की गई। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में कार्डियोलॉजी और न्यूरो सर्जन नहीं है।

एक भी आवेदन नहीं मिले
इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा पर प्रति माह छह लाख के मानदेय पर सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर रखने की मंजूरी दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने सुपर स्पेशियलिस्ट पदों के लिए आवेदन मांगे। इसमें एक भी आवेदन नहीं मिले।

 

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