Sat. Jul 5th, 2025

15 साल में कोई नया जिला नहीं बना

Dehradun: लोकसभा चुनाव अब बहुत ज्यादा दूर नहीं हैं। तमाम सियासी मुद्दों के साथ चुनाव में नए जिलों के गठन का मामला गरमाना तय है, लेकिन सच्चाई यही है कि सरकारों के स्तर पर आयोग व समिति बनाने से लेकर नए जिलों के लिए मानक तय करने से आगे कुछ नहीं हो पाया।

नए जिलों के गठन की कवायद सिर्फ बैठकों तक सीमित रही। पिछले 15 सालों में जिलों के गठन के लिए बनाए गए आयोग और समिति की 10 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन नए जिलों के गठन का नतीजा सिफर रहा है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त सूचना से यह खुलासा हुआ है।

बेशक वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में चार नए जिलों के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई थी, लेकिन राज्य में नए जिलों के गठन के लिए प्रयास वर्ष 2009 से शुरू हो चुके थे। वर्ष 2009 में मुख्य राजस्व आयुक्त की अध्यक्षता में समिति बनाई गई। वर्ष 2012 में अध्यक्ष राजस्व परिषद की अध्यक्षता में दोबारा समिति बनाई गई।

2018 में जिला पुनर्गठन आयोग बना दिया गया। समिति को प्रस्ताव विचार कर उसकी रिपोर्ट आयोग को देने के कहा गया। नए जिलों के गठन के संबंध में राजस्व परिषद से प्राप्त सूचना के मुताबिक, 23 जनवरी 2013 को आयुक्त गढ़वाल की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक से शुरुआत हुई और बैठकों के दौर चलते रहे।

वर्ष 2011 में कोटद्वार, यमुनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट जिलों के गठन बनाने का निर्णय हुआ। इसके लिए गढ़वाल और कुमाऊं आयुक्त के माध्यम से तय मानकों के हिसाब स्वरूप तय हुआ। मसलन यमुनोत्री की तब 1,38,559 प्रस्तावित आबादी तय हुई जिसमें तीन तहसील, तीन विकासखंड, दो थाने व 45 पटवारी क्षेत्र थे। कोटद्वार में 324122 आबादी का प्रस्ताव था, जिसमें पांच तहसील, छह ब्लाक, सात थाने व 109 पटवारी क्षेत्र, रानीखेत में 328621 की आबादी का प्रस्ताव था, जिसमें पांच तहसील, छह ब्लाक, चार थाने, व 120 पटवारी क्षेत्र और डीडीहाट में 152227 की आबादी, तीन तहसील, तीन ब्लाक, नौ थाने व 54 पटवारी क्षेत्र प्रस्तावित किए गए।

वर्ष 2017 में तत्कालीन सरकार में चार और नए जिलों की की कसरत शुरू हो गई। इस सूची में काशीपुर, ऋषिकेश, रुड़की, रामनगर के नाम शामिल हो गए। हालांकि, इनमें राजस्व परिषद की ओर से सिर्फ काशीपुर के प्रस्ताव के संबंध में सूचना दी गई। कुल मिलाकर नए जिलों के प्रस्तावों की संख्या बेशक आठ हो गई, लेकिन सरकार एक भी नहीं बना पाई।

नए जिलों का मसला लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रमुखता गरमाया। सूची में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण तक शामिल हो गया, मगर फिलहाल यह मुद्दा सियासी शिगूफा बनकर रह गया है। सत्ता की कमान संभालने के बाद सीएम धामी ने नए जिलों के गठन की घोषणा कर उम्मीद जगाई थी, लेकिन शासन के स्तर पर कोई हलचल नहीं हो पाई।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *