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देहरादून में फर्जी रजिस्ट्री घोटाला कर बेहिसाब दौलत कमाने में केपी सिंह अपनी कब्र खुद ही खोदता चला गया

Dehradun: देहरादून में फर्जी रजिस्ट्री घोटाला कर बेहिसाब दौलत कमाने में केपी सिंह अपनी कब्र खुद ही खोदता चला गया। देहरादून में फर्जी रजिस्ट्री के सहारे हुए जमीन के हर सौदे का कनेक्शन केपी से जुड़ा है। उसने 500 करोड़ से अधिक की जमीनें बेच डाली। 70 फीसदी से अधिक रजिस्ट्री अपने नाम कराकर अपने लिए ही मुश्किलें खड़ी कर ली। फर्जीवाड़े की परतें खुलीं तो केपी मास्टर माइंड निकला और एसआईटी ने उसे गिरफ्तार कर किया। सहारनपुर जिला कारागार में अब उसकी संदिग्ध हालत में मौत हो गई।

केपी सिंह बेहद शातिर था। देहरादून के कई दशकों के भू-दस्तावेज सहारनपुर कलेक्ट्रेट में रखे थे। इसका उसने लाभ उठाया। वहां रिकाॅर्ड रूम में सांठगांठ कर उसने दून की बेशकीमती जमीनों के पेपर या तो गायब करा दिए या उनकी जगह पर नकली रजिस्ट्री रिकाॅर्ड में लगवा दी। यह फर्जीवाड़ा कर उसने पांच सौ करोड़ से अधिक की जमीनें बेच डालीं।
अभी केपी के पास कई ऐसी जानकारियां थीं जिसके बारे में किसी को भी पता नहीं है। सूत्र बताते हैं कि केपी से जुड़े कई लोग अभी बेपर्दा होना बाकी थे। केपी की मौत से निश्चित तौर पर जांच प्रभावित होगी और कई लोग बेनकाब होने से बच सकते हैं।

राजस्व विभाग के अनुसार केपी सिंह ने फर्जी कागजों के सहारे 30 से 50 प्लाट, खाली जगहें, चाय बागान, काॅफी बागान और हेरिटेज बिल्डिंग बेच डाले। जमीनों को फर्जी तरीके से बेचने के लिए पूरी रेकी करता था। वह देहरादून के पुराने लोगों को तलाशता था, जिसमें जमीदार, नंबरदार या धन्नासेठ शामिल होते थे।

जिनके वारिस विदेशों में उन्हें बनाता था निशाना जमींदारों ने जमींदारी एक्ट लागू होने पर यथासंभव जमीन बचाने का प्रयास किया। बची हुई जमीन को चाय बागान या काॅफी बागान में तब्दील कर दिया। इन जमीनों में जब कई सालों कोई तक गतिविधि नहीं होती, या जिन भूस्वामियों के वारिस विदेशों में जाकर बस गए, उन्हें केपी निशाना बनाता था।

केपी एक जमीन के दो से तीन फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। वारिस इन पर आपत्ति जताते तो वह कहता कि पिछले दशकों में यह जमीन उनके पुरखों ने उन्हें दान दी थी। असली वारिस उलझ जाते और वह जमीनों का सौदा कर लेता था।

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