Fri. Jul 4th, 2025

वन विभाग में अफसरों ने लाखों का घालमेल

उत्तरकाशी : उत्तरकाशी जिले के पुरोला स्थित गोविंद वन्यजीव विहार व राष्ट्रीय पार्क की सुपिन रेंज में वन विश्राम गृहों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का हेरफेर कर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। यहां तैनात तत्कालीन अधिकारियों ने वन विश्राम गृह की मरम्मत के नाम पर दरवाजे, खिड़की, पल्ले और अलमारी तक का पैसा हजम कर लिया।

मामले की जांच भी हुई, लेकिन उच्चाधिकारियों ने चहेतों को बचाने के लिए आंखें मूंद लीं। मामला वर्ष 2021 का है। तत्कालीन उप निदेशक डीपी बलूनी ने एक शिकायत के बाद रेंज में कार्यों का निरीक्षण कराया था। निरीक्षण की जिम्मेदारी तत्कालीन वन क्षेत्राधिकारी ज्वाला प्रसाद, वन दरोगा राजेंद्र सिंह, हरीश और दिनेश सिंह को सौंपी गई थी।

कई चौंकाने वाले तथ्य आए सामने
इस टीम ने रेंज में हुए करीब 60 प्रतिशत कार्यों की जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। अमर उजाला सिलसिलेवार इन तथ्यों को आपके सामने रख रहा है। सुपिन रेंज के अंतर्गत जखोल वन विश्राम गृह की मरम्मत के लिए चार लाख रुपये का भुगतान ठेकेदार को किया गया।

लेकिन, जांच में सामने आया कि कई काम ऐसे थे, जिनका भुगतान तो कर दिया, लेकिन मौके पर काम हुए ही नहीं थे। इनमें रेस्ट हाउस के कमरों में रंगरोगन, पानी की फिटिंग बदलना, दरवाजे, खिड़की, अलमारी इत्यादि बदलना, लाइट फिटिंग, शौचालयों का सुधारीकरण जैसे काम शामिल हैं। कुल 20 कार्यों का भुगतान किया गया, जबकि 11 काम हुए ही नहीं, जो हुए भी वह आधे-अधूरे थे।इस तरह से तत्कालीन वन अफसरों ने बिना काम के ठेकेदार को भुगतान कर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम किया।

सुपिन रेंज के तहत वन विश्राम गृह नैटवाड़ की मरम्मत के नाम पर चार लाख रुपये ठिकाने लगा दिए गए। जिला योजना के तहत जारी हुए इस पैसे का भुगतान भी बिना काम या आधे-अधूरे काम के कर दिया गया। इस मामले में तो मापन पुस्तिका (एमबी) ही गायब कर दी गई, जबकि इस पर एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई गई। यहां वन विश्राम गृह की मरम्मत के नाम पर दो लाख रुपये और दीवार पर एंगल लगाने के नाम पर दो लाख रुपये कुल चार लाख रुपये पार कर दिए गए।

मामला दो साल पुराना होने के चलते संज्ञान में नहीं है। हालांकि, इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से जानकारी जुटाई जा रही है। यदि बिना कार्यों के गलत ढंग से भुगतान किया गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी। -डॉ. साकेत बडोला, वन संरक्षक व निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *