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पर्वतीय जिलों में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए जागरुकता ज्यादा

Dehradun: पर्वतीय जिलों में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए जागरुकता ज्यादा है। तीनों मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर का जनसंख्या-मतदाता अनुपात (ईपी रेशियो) राज्य के औसत से भी कम है। निर्वाचन कार्यालय को इन जिलों में ज्यादा मेहनत करनी होगी।

निर्वाचन कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में प्रति एक हजार मतदाताओं की संख्या 691 है। इनमें पुरुष मतदाता की संख्या 705, महिला मतदाता की संख्या 678 है। पांच जिले ऐसे हैं, जिनका ईपी रेशियो राज्य के कुल अनुपात से भी नीचे है। इनमें हरिद्वार का सबसे कम प्रति एक हजार पर महज 585, ऊधमसिंह नगर का 592 और देहरादून का 675 है। हालांकि इसमें उत्तरकाशी का भी राज्य औसत से कम 687 और नैनीताल का 663 है।

पर्वतीय जिलों की बात करें तो अल्मोड़ा में प्रति एक हजार की आबादी में 945 मतदाता हैं। पौड़ी गढ़वाल में 919, टिहरी में 895, बागेश्वर में 847, रुद्रप्रयाग में 799, पिथौरागढ़ में 781, चमोली में 769 और चंपावत में 707 मतदाता हैं। निर्वाचन कार्यालय ने प्रदेशभर का ईपी रेशियो 70 प्रतिशत यानी प्रति एक हजार पर 700 मतदाता का रखा है।

चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों से आह्वान किया है कि वे हर बूथ पर अपना बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) बनाएं। एक बीएलए अपने बूथ में 27 अक्तूबर से 26 दिसंबर तक केवल 30 मतदाताओं के नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन का ही आवेदन कर सकता है। एक दिन में अधिकतम 10 आवेदन बीएलओ के पास जमा हो सकते हैं। इससे अधिक आवेदन आने पर एसडीएम, तहसीलदार के स्तर से सत्यापन कराया जाएगा।

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