Fri. Nov 22nd, 2024

उपनल से भर्तियों के नाम पर विभागों ने जमकर मनमानी

Dehradun: प्रदेश में उपनल से भर्तियों के नाम पर विभागों ने जमकर मनमानी की है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सामने आई जानकारी चौंकाने वाली है। जो पद उपनल के दायरे में नहीं आते, उन पर भी उपनल से भर्ती करके 50 हजार रुपये तक वेतन दिया जा रहा है।

उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन (इंटक) के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि को आरटीआई में मिली जानकारी से उपनल के नाम पर चल रही मनमानी स्पष्ट हो रही है। वैज्ञानिक से लेकर लाइनमैन, जेई तक के पदों पर भारी भरकम वेतन पर कर्मचारी व अधिकारी रखे गए हैं जबकि उपनल के पदों में ये पद शामिल ही नहीं हैं।
कोटेश्वर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट टिहरी में एसएसओ व लाइनमैन, सिडकुल मुख्यालय देहरादून में स्टेना, जेई, असिस्टेंट आर्किटेक्ट, एई, विधि असिस्टेंट जैसे पदों पर 15 हजार से 46 हजार वेतन तक लोग रखे गए हैं। देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड में जेई के पदों पर 34 हजार से ऊपर वेतन पर उपनल के माध्यम से रखे गए हैं।

स्टेट बायोटेक डिपार्टमेंट में टेक्निकल ऑफिसर, कंप्यूटर ऑपरेटर, साइंटिफिक असिस्टेंट, अकाउंटेंट, साइंटिस्ट-बी जैसे पदों पर 49607 रुपये वेतन तक पर लोग रखे गए हैं। उत्तराखंड तकनीकी विवि में भी सिस्टम मैनेजर, असिस्टेंट अकाउंटेंट, पीए, प्रवर सहायक के पदों पर 24333 रुपये वेतन तक कर्मचारी रखे गए हैं। यूजेवीएनएल मुख्यालय में भी चपरासी, श्रमिक जैसे पदों पर 37 हजार तक वेतन पर भर्तियां की गई हैं। ये सभी वे पद हैं, जो कि उपनल के दायरे में ही नहीं आते। विभागों ने अपने स्तर से पद बनाकर भर्तियां कर दी हैं।

विनोद कवि का कहना है कि विभागों ने अपने हिसाब से उपनल भर्ती के नियम बदल दिए हैं। उन्होंने कहा कि निदेशालय सैनिक कल्याण, उत्तराखंड स्टेट सीड एंड प्रॉडक्शन सर्टिफिकेशन एजेंसी जैसे विभागों ने तो उपनल कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर ले लिया है लेकिन कई विभाग वेतन भी पूरा नहीं दे रहे हैं। ऊर्जा निगमों में उपनलकर्मियों का जोखिमभरा काम होने के चलते बोर्ड ने प्रस्ताव पास करके शासन को भेजा था लेकिन शासन ने महंगाई भत्ते का आदेश रोका हुआ है। इससे कर्मचारी हतोत्साहित हो रहे हैं।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *