गुलदार के हमले में ढाई साल के मासूम आयांश की मौत के बाद से घर में चूल्हा बुझा
Dehradun: अपने कलेजे के टुकड़े को गंवाने के बाद सिंगली गांव गम से उबर नहीं पा रहा है। गुलदार के हमले में ढाई साल के मासूम आयांश की मौत के बाद से घर में चूल्हा बुझा पड़ा है। घर के बाहर ग्रामीणों से लेकर रिश्तेदारों व करीबियों का जमावड़ा लगा है। पास के खाली पड़े प्लॉट में वन विभाग की टीम बैठी है जिसकी नजर पिंजरों पर है।
आयांश के दादा मदन के पास ग्रामीणों की भीड़ बैठी है। उसकी मां चंदा के पास महिलाओं का समूह बैठा है। यहां बैठे लोगों और महिलाओं में बच्चे को खोने का जितना गम है उतना ही रोष भी है। रोष है वन विभाग की कार्यप्रणाली पर। सब एक सुर में यही कह रहे थे कि मंगलवार की रात हादसा हुआ और अब तक वन विभाग खाली हाथ है। टीम पिंजरे में गुलदार के आने का इंतजार कर रही है और गुलदार कई बार दिख चुका है।
शौच भी नहीं जा रहे लोग
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शाम को 4 बजते ही गांव में कर्फ्यू लगा दिया जाता है। वन विभाग की टीम ग्रामीणों को घरों में कैद कर देती है।
जंगल में है आयांश का घर
गल्जवाड़ी से घने जंगलों के रास्ते आगे करीब दो किमी चलने के बाद मुख्य मार्ग पर एक मंदिर है। यहां से करीब 700 मीटर निचले रास्ते पर जंगलों के बीच ऊंचे चबूतरे पर आयांश का घर है। तीन छोटी सीढ़यां चढ़ने पर आयांश के घर में दाखिला होता है। आयांश की दादी पूनम के आंसू सूख चुके हैं लेकिन उनकी सिसकियां साथ नहीं छोड़ रही हैं।
दादी बताती हैं कि मेरा पोता आयांश मंगलवार की रात इन्हीं सीढ़ियों पर था। वह मां के साथ कमरे में सोने जा रहा था, पर घर के बाहर भरपूर रोशनी थी। सामने लगे पोल में भी लाइट जल रही थी। आयांश ने अपनी मां से कहा, मम्मा आप चलो, मैं आ रहा हूं। दोनों निकलकर अंदर कमरे में जा रहे थे, तभी घात लगाकर आए गुलदार ने आयांश को सीढ़ियों से उठा लिया। मौसी सुनीता कहती हैं कि रात में गुलदार बच्चे के पास ही था। हमारा तो बच्चा गया, अब गुलदार बचना नहीं चाहिए। सरकार वन विभाग के अफसरों को गुलदार को मारने की अनुमति दे। इसके कारण गांव के बच्चे असुरक्षित हैं।