Fri. Nov 22nd, 2024

स्वीकृति के बाद भी सड़कों के लिए वन भूमि नहीं मिली

Dehradun: वन संरक्षण अधिनियम के चलते उत्तराखंड में सड़क निर्माण के प्रस्ताव सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं। सैद्धांतिक स्वीकृति के बावजूद 500 से अधिक सड़कों के लिए वन भूमि की मंजूरी लटकी है। सचिव लोनिवि पंकज कुमार पांडेय ने प्रमुख अभियंता से उन सभी सड़कों के बारे में कारण समेत रिपोर्ट मांगी है, जिनमें सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है।

पिछले दिनों हुई बैठक में उन्होंने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे। जारी कार्यवृत्त के मुताबिक, सचिव ने उन सभी लंबित प्रकरणों का ब्योरा मांगा है, जिनके लिए वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव पांच से 10 साल बाद भी नहीं बन पाया है। इनमें ऐसे कई प्रकरण हैं, जिन्हें ऑनलाइन अपलोड कर दिया गया है, लेकिन वन विभाग ने वन भूमि हस्तांतरण से मना कर दिया है।

सहमति देने से वन विभाग ने किया इंकार
बैठक में तय हुआ कि ऐसे सभी प्रकरणों को निरस्त किया जाएगा, जिनमें वन भूमि मिलना संभव नहीं है या सहमति देने से वन विभाग ने इंकार कर दिया है। इस संबंध में सचिव ने प्रमुख अभियंता को प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। साथ ही ताकीद किया कि ऐसे प्रकरणों (जिनमें संरेखण, ग्रामीणों की आपत्ति एवं अत्यधिक वन भूमि होने के कारण वन भूमि की सहमति मिलने की संभावना नहीं है) को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की जाए। बैठक में यह भी तय हुआ कि जिलाधिकारी और डीएफओ के स्तर पर लंबित प्रकरणों की स्वीकृति के लिए संबंधित अधिशासी अभियंता व्यक्तिगत रूप से समन्वय स्थापित करेंगे।

 

1271 सड़कों के प्रस्ताव लंबित

लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 1271 सड़कों के प्रस्ताव वन भूमि की मंजूरी के कारण लंबित हैं। इनमें 850 प्रस्ताव पहले चरण के हैं, जबकि 421 प्रस्ताव दूसरे चरण के हैं। इनमें 571 प्रस्तावों पर सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। अब तक 268 प्रस्तावों पर ही विधिवत स्वीकृति मिल पाई है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *