खरीदारों की पूंजी निवेश कर हाउसिंग प्रोजेक्ट में देरी नहीं कर सकेंगे प्रमोटर्स
Dehradun: उत्तराखंड के कई बड़े हाउसिंग प्रोजेक्टों में प्रमोटर्स ने भवन आवंटियों की जमा पूंजी दूसरी जगह निवेश कर दी। इससे आवासीय परियोजनाओं में तय समय के कई साल बाद भी निर्माण पूरा नहीं हो सका। इसे रोकने के लिए उत्तराखंड भूसंपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) को अनिवार्य करने जा रहा है।
अब प्रमोटर्स को हर तीसरे वित्तीय माह में पंजीकृत परियोजना की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इससे हाउसिंग प्रोजेक्ट में निवेश, निर्माण में प्रगति व खरीदारों से प्राप्त रकम के प्रयोग की पूरी जानकारी रेरा को मिल सकेगी। यह व्यवस्था इसी सप्ताह से शुरू होने जा रही है।
रेरा तुरंत प्रमोटर्स पर कसेगा शिकंजा
गौरतलब हो कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 के अंतर्गत आवासीय परियोजनाओं में प्रमोटर्स के लिए त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्वाटरली प्रोग्रेस रिपोर्ट) दाखिल करना जरूरी है, लेकिन उत्तराखंड में बड़ी संख्या में प्रमोटर्स त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट का ब्योरा नहीं देते। इस कारण आवासीय परियोजनाओं की भौतिक व वित्तीय स्थिति रेरा को नहीं मिल पाती।
परियोजना के फाइनेंशियल इन फ्लो व आउट फ्लो से भी रेरा अनभिज्ञ रहता है। ऐसे में निर्माण कार्य में देरी और आवंटियों से प्राप्त रकम प्रोजेक्ट पर नहीं खर्च करने की शिकायतों में रेरा कोई ठोस कदम नहीं उठा पाता। इसीलिए रेरा ने त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को अनिवार्य कर दिया है, ताकि प्रमोटर्स व प्रोजेक्ट की पूरी फाइनेंशियल जानकारी रेरा के पास उपलब्ध रहे। अब भवन आवंटियों की ओर से जमा रकम का 70 फीसदी हिस्सा प्रोजेक्ट पर खर्च नहीं करने व निर्माण की गति धीमी होने पर रेरा तुरंत ही प्रमोटर्स पर शिकंजा कसेगा।