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प्रदेश में बच्चों को नहीं मिलीं निशुल्क किताबें

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प्रदेश में नया शिक्षा सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया, लेकिन अभी तक तमाम स्कूूलों में बच्चों तक किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। इस पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने नाराजगी जताते हुए खुद सहित प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं।

रविवार को महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी की ओर से गूगल मीट के माध्यम से जिलों के साथ नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकों के वितरण की अद्यतन प्रगति की समीक्षा की गई। इस मौके पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने स्पष्ट कहा कि छात्रों को निशुल्क पुस्तकें जब तक नहीं मिलती, तब तक वह स्वयं के साथ ही इस प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन पर रोक रहेगी।

महानिदेशक ने कहा कि जिन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पुस्तकें प्राप्त नहीं हुई हैं, उन जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित कर लें कि एक सप्ताह के भी सभी बच्चों को घर-घर जाकर इनका वितरण किया जाए।
विद्यालयी शिक्षा के तहत प्रदेशभर के स्कूलों में आठ लाख 79 बच्चे पंजीकृत हैं। बैठक में बताया गया कि कक्षा एक से 12 तक की लगभग 95 प्रतिशत पुस्तकें विद्यालयों को वितरित की जा चुकी हैं।
हरिद्वार और पौड़ी जिलों की ओर से बताया गया कि राजकीय विद्यालयों के साथ अशासकीय विद्यालयों के लिए त्रुटिवश डिमांड भेजे जाने के कारण जिलों को पाठ्य पुस्तकें अधिक प्राप्त हो गई थीं, जो अवशेष बची हैं। इस क्रम में मंडलों को निर्देशित किया गया है पाठ्य पुस्तकों को जिन जिलों से अतिरिक्त मांग की जा रही है, वहां भेजा जाए। इस काम को एक सप्ताह में पूरे करने के निर्देश दिए गए।

11वीं के बच्चों को इसलिए नहीं मिलीं पुस्तकें
समीक्षा बैठक में यह बात भी सामने आई कि अभी तक 10वीं का परिणाम जारी नहीं हुआ है। बच्चे कक्षा 11 में प्रवेश ले रहे हैं। ऐसे में छात्र-छात्राएं यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं कि वह विज्ञान वर्ग, कला वर्ग एवं वाणिज्य वर्ग में से किस वर्ग में प्रवेश लेंगे। इसलिए कक्षा 11 के समस्त छात्र-छात्राओं के लिए पाठ्य-पुस्तकों का वितरण नहीं किया गया है।

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