ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा धांधली में शिकायत करने वाले सामने नहीं
देहरादून। ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा धांधली में विजिलेंस ढाई साल से इस मुकदमे में अब तक किसी को आरोपी तक नहीं बनाया जा सका है। कारण है कि मामले की शिकायत करने वाले ही अब सामने नहीं आ रहे हैं। अब वह नौकरी करने लगे हैं तो वह इस मामले में पड़ना ही नहीं चाहते।
यही नहीं विजिलेंस का तो यहां तक कहना है कि आयोग के अधिकारी भी मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ग्राम विकास अधिकारी की यह परीक्षा 2016 में कराई गई थीए लेकिन जब धांधली की बात सामने आई तो इसे रद्द कर दिया गया। परीक्षा अगले साल फिर से कराई गई। इस बार 2016 में टॉपर बने छात्र एकाएक सबसे नीचे आ गए।
इससे पुष्टि हुई कि 2016 में हुई इस परीक्षा में धांधली हुई थी। प्राथमिक जांच के बाद विजिलेंस ने मामले में जनवरी 2020 में मुकदमा दर्ज कर लिया।
विजिलेंस के मुताबिक मौजूदा समय में यह शिकायत करने वाले लोग ही सामने नहीं आ रहे हैं। अब उनकी नियुक्ति हो चुकी है। उनका कहना है कि जांच के पचड़े में पड़ गए तो उनकी नौकरी भी चली जाएगी। लिहाजाए विजिलेंस इस मामले में बहुत धीरे.धीरे ही आगे बढ़ रही है।
यही नहीं विजिलेंस अधिकारियों के मुताबिक आयोग के अधिकारी भी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। विवेचना अधिकारी उनसे जब किसी दस्तावेज की मांग करता है तो उसे इसकी जगह कुछ और पकड़ा दिया जाता है। यही कारण है कि इस मामले में जांच को सपोर्ट करने वाले मजबूत साक्ष्य नहीं मिल पा रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक छह साल पहले यह परीक्षा हुई थी। ऐसे में कई साक्ष्य तो नष्ट भी हो गए। इनमें कॉल डिटेल को सबसे बड़ा साक्ष्य माना जाता है। लेकिनए इतनी पुरानी कॉल डिटेल भी अब नहीं निकल पाएंगी। इसके अलावा तमाम इस तरह के साक्ष्य हैं जो आयोग ने मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराए हैं। यही नहीं उस वक्त के कई अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गए हैं। ओएमआर शीट का मिलान भी करना हैए लेकिन इस काम में भी विजिलेंस को सहयोग नहीं किया जा रहा है।
परीक्षा की ओएमआर शीटों में छेड़छाड़ की गई थी। इसकी पुष्टि फोरेंसिक जांच में भी हो गई है। लेकिनए यह किसने की अभी तक इस बात की जानकारी विजिलेंस को नहीं मिल पाई है। ऐसे में अब तक इस मुकदमे में किसी को भी नामजद नहीं किया गया है। इतनी बड़ी धांधली में मुकदमा ढाई सालों से अज्ञात में ही चला आ रहा है। जांच पूरी होगी तो कौन.कौन इसमें नामजद होते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिनए अगर वास्तव में जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है तो मामले में कोई बड़ा हाथ होने की आशंका है।