Mon. Jun 9th, 2025

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 के पार पहुंचा

DOLLER

DELHI : मुद्रा बाजार में भारतीय रुपये में लगातार गिरावट आ रही है। एक बार फिर रुपया 80 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार कर गया है।  कारोबार में भारतीय रुपया एक बार फिर से अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। मुद्रा बाजार में भारतीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80.11 पर आ गया है। सुबह 10:43 बजे रुपया अपनी शुरुआती गिरावट को कवर करते हुए 80.020 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, दूसरी ओर डॉलर में उछाल आया है। सोमवार को रुपया 80.11 के रिकॉर्ड निचले स्तर को छूने से पहले शुक्रवार को 79.87 प्रति अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ था।
भारतीय रुपये में इस गिरावट को लेकर स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने की लड़ाई भविष्य में जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि दरों में बढ़ोतरी से रुपये और अन्य बाजार मुद्राओं पर दबाव पड़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर लगभग सभी देशों की आरक्षित मुद्रा है। इसके कारण वित्तीय बाजारों में तेज अस्थिरता के बीच डॉलर में तेजी अन्य मुद्राओं के लिए हानिकारक है।
गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई माह में भी रुपया पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 से नीचे फिसल गया था। उस समय कड़े वैश्विक आपूर्ति के बीच कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण अमेरिकी डॉलर की मांग को बढ़ावा मिला था।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के यह कहने कि केंद्रीय बैंक बढ़ती मुद्रास्फीति के खिलाफ अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटेगा, के बाद अमेरिकी डॉलर में आज तेजी से मजबूती आई है। पॉवेल ने जैक्सन हॉल व्योमिंग में केंद्रीय बैंकिंग सम्मेलन में एक भाषण में कहा कि मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने से पहले अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कुछ समय के लिए सख्त मौद्रिक नीति अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) का फोकस अभी महंगाई को 2 फीसदी के लक्ष्य पर वापस लाने पर है।

अमेरिका में बढ़ रही महंगाई के कारण टूट रहा रुपया
बाजार के जानकारों के मुताबिक बीते कुछ महीनों में दुनियाभर के निवेशक यूरोपियन यूनियन के बाजारों में मंदी की आशंका के मद्देनजर अपेक्षाकृत सुरक्षित अमेरिकी बाजार में निवेश करने को तरजीह दे रहे हैं, यही कारण है कि डॉलर लगातार यूरोपियन यूनियन और एशियाई देशों की मुद्राओं की तुलना में मजबूत होता जा रहा है। अमेरिका में बढ़ रही लगातार महंगाई के कारण भी वहां के निवेशक बाहरी देशों से अपना निवेश घटा कर उसे घरेलू बाजार में डाल रहे हैं इससे डॉलर मजबूत होता जा रहा है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *