डॉक्टर को तीन से पांच साल तक दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं देने की शर्त
Dehradun: प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेज से बांड व्यवस्था के तहत एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर को तीन साल की बांड अवधि के बाद पीजी की अनुमति दी जाएगी। अस्पतालों में बिना डॉक्टर के मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए शासन स्तर पर बांड धारी डॉक्टर के लिए नियम बनाने का विचार किया जा रहा है।
अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए मेडिकल की पढ़ाई में बांड व्यवस्था लागू है। जिसमें कम फीस पर एमबीबीएस कोर्स करने के लिए छात्रों से बांड भराया जाता है। लेकिन मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बांड धारी डॉक्टर को तीन से पांच साल तक दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं देने की शर्त है।
बांड का अनुपालन न करने वाले डॉक्टर से पूरी फीस ब्याज समेत वसूली जाती है। जो डॉक्टर बांड व्यवस्था के तहत अस्पतालों में तैनात हैं, वे भी बांड अवधि से पहले पीजी कोर्स करने जा रहे हैं। जिससे अस्पतालों में डॉक्टर न होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को परखने के लिए कई जिलों का दौरा कर अस्पतालों में निरीक्षण किया। उन्हें अस्पतालों में डॉक्टर न होने की शिकायत मिली। जब सचिव ने डॉक्टर न होने का कारण पूछा तो पता चला कि डॉक्टर पीजी कोर्स कर रहे हैं।
प्रदेश में एमबीबीएस और पीजी कोर्स में बांड की व्यवस्था है। जिसमें पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर को 3 और 5 साल तक दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं देने का प्रावधान है। लेकिन कई अस्पतालों में बांड के तहत तैनात डॉक्टर न होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। इसे देखते हुए तीन साल की बांड अवधि पूरी करने के बाद डॉक्टर को पीजी की अनुमति देने पर विचार चल रहा है। -डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य