Mon. Dec 23rd, 2024

देहरादून सहित विभिन्न जिलों में ईसीएचएस केंद्र बने

Dehradun: प्रदेश के लगभग दो लाख पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को घर के नजदीक मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा देने की तैयारी है। इसके लिए पहाड़ में मोबाइल ईसीएचएस (एक्स सर्विसमैन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम) को शुरू किया जा सकता है।सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर अमृत लाल के मुताबिक, केंद्रीय सैनिक बोर्ड दिल्ली की बैठक में इस पर निर्णय लिया गया है।

पहाड़ में इस सुविधा से अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जिलों से पलायन रुकेगा। सैन्य बहुल प्रदेश में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए देहरादून सहित विभिन्न जिलों में ईसीएचएस केंद्र बने हैं। लेकिन, कुछ केंद्र दूरदराज के क्षेत्रों में होने से पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
खासकर वे पूर्व सैनिक, केंद्र तक नहीं पहुंच पाते, जिनकी उम्र 80 साल या फिर इससे अधिक है। सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ने कहा, केंद्रीय सैनिक बोर्ड की इस साल अप्रैल में नई दिल्ली में हुई बैठक में सैनिक कल्याण विभाग की ओर से इस मसले को उठाया गया था।

बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है। जिसकी भौगोलिक स्थिति अलग है। ईसीएचएस के लिए मानक एक समान होने से भी पहाड़ में दिक्कत पेश आ रही हैं। कहा, केंद्रीय सैनिक बोर्ड की ओर से बैठक के बाद उसका कार्यवृत्त जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मोबाइल ईसीएचएस को शुरू किया जाएगा।

सेना मुख्यालय की ओर से ईसीएचएस के लिए देशभर में समान मानक तय किए गए हैं। सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर अमृत लाल के मुताबिक, कम से कम 7,500 पूर्व सैनिकों की आबादी पर एक ईसीएचएस स्थापित किया जा सकता है, जबकि देहरादून जिले में 36,500 पूर्व सैनिक हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में उनके आश्रित हैं।

योजना के तहत भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सैनिकों और अधिकारियों के सेवानिवृत्त होते समय अंशदान के रूप में कुछ फीस जमा कराई जाती है। इसके बाद उनका ईसीएचएस कार्ड बनता है। जिस पर उनको और उनके आश्रितों को जीवनभर मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा मिलती है। ईसीएचएस के पैनल के निजी अस्पतालों में भी उन्हें स्वास्थ्य सुविधा दी जाती है।

मैदान में 40 से 45 किमी की दूरी कुछ देर में तय की जा सकती है, जबकि पहाड़ में इसके लिए घंटों लगते हैं। इसके अलावा पहाड़ में ट्रांसपोर्ट की भी समस्या है। पूर्व सैनिकों को घर के नजदीक स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिले, इसके लिए केंद्रीय सैनिक बोर्ड की बैठक में राज्य के पूर्व सैनिकों की इस समस्या को उठाया गया है। -ब्रिगेडियर अमृत लाल, निदेशक सैनिक कल्याण

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *