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हिमस्खलन की आंखो देखी सुनाई तो सबके रोंगटे खड़े हो गए

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Dehradun: नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स में प्रशिक्षण के लिए उत्तरकाशी के द्रोपदी का डांडा चोटी पर ट्रैकिंग के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आकर कई ट्रेनी और ट्रेनर काल का ग्रास बन गए। इसमें टिहरी जिले में मगरौं क्षेत्र के ग्राम खाली-पाल निवासी रोहित भट्ट सकुशल वापस लौट आए हैं। हिमस्खलन की चपेट में आने से घायल रोहित एम्स ऋषिकेश में इलाज के बाद शुक्रवार शाम को गांव पहुंचे तो परिजनों और ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना न रहा। रोहित ने उस हादसे को बयां करते हुए बताया कि भगवान का शुक्रगुजार हूं कि बचकर लौट आया।

उन्होंने कहा कि बर्फ में दबकर कई साथियों की मौत से वह काफी दुखी हैं। रोहित ने पर्वतारोहण के दौरान हुए हादसे का किस्सा सुनाते हुए बताया कि द्रोपदी का डांडा (डीकेडी) चोटी पर एडवांस माउंटेनियरिंग प्रशिक्षण के लिए निम के सात प्रशिक्षकों सहित 41 सदस्यीय टीम चार अक्तूबर को सुबह सवा तीन बजे निकली थी। टीम द्रोपदी का डांडा फतह करने से महज 200 मीटर नीचे थी कि अचानक हिमस्खलन होने से उनके कई साथी बर्फ की खाई में गिरकर दब गए। जिसमें कई युवा पर्वतारोहियों ने जान गांव दी।
रोहित ने बताया कि इस दौरान वह पवर्तारोही सविता कंसवाल साथियों के साथ रोप के सहारे बगल से चल रहे थे, जबकि वह रोप से अलग होकर टेप सिलिंग कर रहे थे, जिससे वह बाकी साथियों से छिटक गए। जबकि सविता सहित कई पर्वतारोही बर्फ की खाई में गिर गए। इसमें वह भी चोटिल हुए, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए ट्रेनरों के साथ बर्फ में दबे चार लोगों का रेस्क्यू किया और चार शव बर्फ से बाहर निकाले। इस हादसे में चोटिल होने पर उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया। उपचार के बाद शुक्रवार को वह अपने गांव पहुंच गए। घर पहुंचने पर उनके पिता जगदंबा प्रसाद भट्ट और मां दुर्गा देवी सहित कई लोगों ने बेटे को गले लगाकर उनका स्वागत किया। रोहित ने बताया कि यह मिशन पूरा करने के बाद एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और उन्होंने आस्ट्रेलिया पीक जाने का प्लान बनाया था, लेकिन कुदरत ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

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