VPDO भर्ती परीक्षा में ओएमआर शीट में फ्ल्यूड और ब्लेड से छेड़छाड़ की गई थी
Dehradun: VPDO भर्ती परीक्षा में लगभग सात साल के बाद आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी हुई है। समूह ग के पदों की भर्ती के लिए सरकार ने वर्ष 2014-15 में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया था। अस्तित्व में आने के बाद आयोग ने 20 नवंबर को 2015 को पंचायतीराज विभाग में वीपीडीओ के 196 पदों की भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी। यह आयोग की पहली बड़ी भर्ती थी। इस पदों के लिए 1.10 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, लेकिन 6 मार्च 2016 में आयोजित लिखित परीक्षा में 87 हजार अभ्यर्थी ही शामिल हुए थे। 29 मार्च 2017 को परीक्षा का रिजल्ट घोषित के बाद भर्ती विवादों में आई। अनियमितता को लेकर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डॉ. रणबीर सिंह को जांच सौंपी गई थी। विभागीय जांच में ओएमआर शीट में फ्ल्यूड लगाने और ब्लेड से खरोंच कर मिटाने का खुलासा हुआ था। जिस पर ओएमआर शीट की लखनऊ से फॉरेंसिक जांच की गई। फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी छेड़छाड़ की पुष्टि हुई थी। रणबीर सिंह की अध्यक्षता में हुई जांच में खुलासा था कि ओएमआर शीट में फ्ल्यूड का इस्तेमाल कर छेड़छाड़ की गई। यहीं नहीं आंसर शीट में कटिंग के साथ ब्लेड से मिटाने की भी पुष्टि हुई थी। चयनित अभ्यर्थियों के अंकों का सांख्यिकीय एनालिसिस किया गया। जिसमें अंकों में भी काफी अंतर पाया गया। जांच रिपोर्ट के आधार कार्मिक विभाग ने 14 जून 2017 में वीपीडीओ भर्ती रद्द की थी। वीपीडीओ भर्ती में अनियमितताओं को लेकर कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट चल गए थे। हाईकोर्ट के आदेश पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 25 फरवरी 2018 को दोबारा से 196 पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित कराई थी। दोबारा भर्ती में उन्हीं अभ्यर्थियों को मौका दिया गया था, जो लिखित परीक्षा में बैठे थे। दोबारा हुई लिखित परीक्षा में 49651 अभ्यर्थी ही शामिल हुए थे। जिसके बाद अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने परीक्षा परिणाम घोषित कर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए सूची विभाग को भेजी थी।