पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने राम मंदिर आंदोलन से जु़ड़ी अपनी यादें साझा कीं
Dehradun: राम जन्मभूमि का आंदोलन अपने चरम पर था। हम रुद्रप्रयाग के पास एक गांव में आंदोलन के पक्ष में जन समर्थन जुटा रहे थे। वहां एक ताई (वृद्धा) मेरे पास आई और बोली कि राम मंदिर के लिए सबसे पहले मैं कुर्बानी दूंगी। उनका यह जोश और उत्साह देखकर मैं हैरान रह गया। वह अपने साथ महिलाओं की फौज लेकर आईं थीं।
सभी महिलाएं भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए अपना कुछ न कुछ सहयोग देने के लिए उत्सुक थीं। उन दिनों मैं उत्तरप्रदेश विधानसभा का सदस्य था। केंद्रीय नेतृत्व ने हमें पहाड़ में राम जन्मभूमि आंदोलन को जनता के बीच ले जाने का दायित्व दिया था। हम गांव-गांव जाते और सभाएं करते। पूरे पहाड़ में हम घूमते रहे।
पुलिस हर वक्त हमें गिरफ्तार करने की योजना बनाती थी। हम कभी भी एक स्थान पर नहीं रहते थे। हमें केंद्रीय नेताओं के निर्देश थे कि आंदोलन की पहली पांत में खड़े जो नेता नेतृत्व कर रहे हैं, उन्हें किसी भी हाल में गिरफ्तार नहीं होना है। लीडरशिप की गिरफ्तारी से आंदोलन पर असर पड़ने का खतरा था। इसलिए हम वेश बदलते। कभी एक स्थान पर नहीं रहते। स्थान बदलते रहते।
योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ा रहा था आंदोलन