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राजधानी में पल रहे चार हजार खूंखार कुत्ते

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Dehradun: राजधानी देहरादून में खतरनाक नस्ल के कुत्ते पालने पर कोई रोक-टोक नहीं है। शौकीन लोग घरों में खूंखार नस्ल के कुत्ते पाल रहे हैं। इसमें पिटबुल, बॉक्सर रॉटविलर, डाबरमैन जैसे खतरनाक कुत्ते भी शामिल हैं। नगर निगम से जारी लाइसेंस के मुताबिक राजधानी में देशी-विदेशी प्रजाति के 4097 कुत्ते हैं। इसमें 98 घरों में सबसे खतरनाक पिटबुल पल रहा है। जबकि 148 घरों में रॉटविलर तो 22 घरों में बॉक्सर है। 22 घरों में डाबरामैन, 346 घरों में भोटिया और 656 घरों में जर्मन शेफर्ड हैं। जबकि बिना लाइसेंस इससे कहीं अधिक संख्या हो सकती है।

प्रदेश में कुत्ते पालने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। कुत्ते पालने के लिए लाइसेंस होना अनिवार्य है, लेकिन अधिकतर लोग लाइसेंस भी नहीं लेते हैं। पिटबुल, राॅडविलर समेत कई खतरनाक प्रजाति के कुत्ते लोगों को नोच रहे हैं। देश में कई स्थानों पर इन पिटबुल के अपने ही मालिकों की नोंचने के मामले सामने आ चुके हैं।

नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. डीसी तिवारी ने बताया कि दून में कुत्तों के अपने मालिक पर हमला करने की कोई बड़ी घटना अभी तक सामने नहीं आई है। लेकिन कुत्ता काटने की छोटी-छोटी घटनाएं रोज बढ़ रही है। बताया कि ठंडे इलाके के कुत्तों को जब गर्म इलाकों में पाला जाएगा तो उसके व्यवहार में परिवर्तन जरूर आएगा। वो खूंखार होने लगेंगे।

राजधानी में कुत्ते

नस्ल,              संख्या
पिटबुल,             98
चाऊ, चाऊ,        13
जर्मन शेफर्ड,       656
लेब्राडोर,             735
मिक्स,                860
गोल्डन रोटवेयर,   261
भोटिया,              346
बीगल,               155
बॉक्सर,               22
रॉटविलर,            148
पग,                    145
डेसहंड,               66
हस्की,                 74
कॉकर स्पेनियल,   48
डालमेटियन,        12
तिब्बतन मसटिफ, 18
डोबरामैन,            22
पॉमेरेनियन,          334
ल्यासा एप्सो,          84

44 हजार स्ट्रीट डॉग का हो चुका है बंध्याकरण

नगर निगम की ओर से स्ट्रीट डॉग की संख्या को कम करने के लिए 2016 से प्रयास किए जा रहे हैं। अभी तक 44 हजार से अधिक स्ट्रीट डॉग का बंध्याकरण किया जा चुका है। अभी भी बंध्याकरण का अभियान लगातार चलाया जा रहा है।
कुत्ता काटने वाला हो जाए तो की जाती है निगरानी
नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर डीसी तिवारी ने बताया कि अगर कोई कुत्ता ज्यादा लोगों को काटता है तो शिकायत के बाद उसे कुछ समय तक निगरानी में रखा जाता है। रेबीज की जांच की जाती है। जब कुत्ते का व्यवहार ठीक हो जाता है तो उसे उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है। एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल और हाईकोर्ट के साफ आदेश हैं कि कुत्तों को उनके स्थान से दूसरी जगह नहीं छोड़ा जाएगा।

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