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सरकार बताए कि केंद्रीय विद्यालय क्यों नहीं खुले

Dehradun: राज्य ने इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था। पत्र में कहा गया था कि इससे बच्चों को अपने ही क्षेत्र में बेहतर शिक्षा मिलेगी और पलायन रुकेगा। सवाल यह है कि इसके लिए जब सब तैयार थे, तो सरकार बताए कि केंद्रीय विद्यालय क्यों नहीं खुले, इन विद्यालयों को खुलने में कमी कहां रह गई।

राज्य में हर साल हजारों बच्चे केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने का सपना देखते हैं, लेकिन सफल कुछ ही होते हैं। वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खोलने की पहल की थी। केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली ने राज्य सरकार को तय मानक के अनुसार भूमि उपलब्ध कराने को कहा था।

सरकार को मुफ्त में 15 कमरों की व्यवस्था करनी होगी

केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से कहा गया कि विद्यालय ढ़ाई से पांच एकड़ परिसर में बनेगा। सरकार को एक रुपये की दर से 99 साल के पट्टे पर या मुफ्त भूमि उपलब्ध करानी होगी। इसके अलावा केंद्रीय विद्यालय का स्थायी भवन बनने तक सरकार को मुफ्त में 15 कमरों की व्यवस्था करनी होगी, ताकि विद्यालय का अपना भवन बनने तक इसे अस्थायी भवन में शुरू किया जा सके।

केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्र के बाद शासन ने इस संबंध में सभी जिलों से प्रस्ताव मांगा, लेकिन केंद्रीय विद्यालय नहीं खुल पाए।

जनता की मांग है कि केंद्रीय विद्यालय खुलने चाहिए, जहां जाता हूं, लोग इस बारे में पूछते हैं। हमने केंद्र सरकार को विद्यालय के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था। केंद्र का भी हमें पत्र आया था, इसे लेकर केंद्र के जो मानक हैं उसमें शिथिलता दी जाए तो विद्यालय खुल सकते हैं। -त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर केंद्रीय विद्यालय पर काम करना था, स्कूल के कुछ मानक होते हैं, राज्य को ही स्थापना सुविधाएं खड़ी करनी होती हैं, इसमें कई बार व्यावहारिक दिक्कत आती है। इन्हें शुरू करने में कहीं कोई दिक्कत रहीं होगी। अभी इस बारे में कुछ कहना उचित नहीं होगा। – डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री

केंद्रीय विद्यालयों के लिए हमने कई प्रस्ताव भेजे हैं, इसमें कुछ मंजूर भी हुए हैं। इसके लिए मानक यह है कि उस क्षेत्र में केंद्रीय कर्मचारी होने चाहिए। -बंशीधर तिवारी, शिक्षा महानिदेशक

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