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लाजिस्टिक ईज के मामले में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे 15 राज्यों को एचीवर्स की श्रेणी में

नई दिल्ली। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) की तरफ से लाजिस्टिक ईज एक्रास डिफिरेंट एस्टेट्स (लीड्स) की सर्वे रिपोर्ट जारी की गई।राज्यों के बीच लाजिस्टिक सुविधा को लेकर प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा करने के लिए लीड्स सर्वे कराया जाता है। इस सर्वे से राज्यों में लाजिस्टिक इको सिस्टम का पता चलता है। यह सर्वे लाजिस्टिक सुगमता, लागत और अन्य संबंधित आंकड़ों को जुटाकर किया जाता है। हाल ही में राष्ट्रीय लाजिस्टिक पालिसी भी जारी की गई है ताकि भारत में लाजिस्टिक लागत को 8-9 प्रतिशत तक लाया जा सके। अभी भारत में लाजिस्टिक लागत 13 प्रतिशत से अधिक है।

केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्य तेजी से एचीवर्स की ओर बढ़ते राज्यों की श्रेणी में रखे गए हैं तो बिहार, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को आकांक्षी राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया है। लाजिस्टिक ईज के मामले में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे 15 राज्यों को एचीवर्स की श्रेणी में रखा गया है।

लीड्स रिपोर्ट जारी करने के मौके पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान की मदद से लाजिस्टिक क्षमता को बढ़ाकर सालाना 10 लाख करोड़ से अधिक की बचत की जा सकती है। ठीक एक साल पहले पीएम गतिशक्ति पोर्टल लांच किया गया था। पिछले एक साल में पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत 229 विभिन्न इन्फ्रा परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।  यातायात पुलिस द्वारा वाणिज्यिक वाहनों को अनुचित रूप से रोकने से माल की आपूर्ति में देरी होती है। ‘कर्नाटक, केरल, बंगाल और बिहार सहित कई राज्यों ने आरटीओ और पुलिस अधिकारियों द्वारा ट्रकों को बेवजह रोकने के मुद्दे को उठाया। असम के उद्योग ने असम को कोलकाता से जोड़ने वाले राजकीय राजमार्ग पर माल की चोरी के मामले सामने आने की बात कही। 

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