भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस के अध्यक्ष रवि कुमार एस ने दिया पद से इस्तीफा
इंफोसिस ने मंगलवार को शेयर बाजारों को भेजी गई सूचना में बताया कि कंपनी के अध्यक्ष रवि कुमार एस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि कंपनी ने उनके इस कदम के पीछे का कोई कारण नहीं बताया है।
कंपनी के अध्यक्ष रवि कुमार का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कुछ दिनों बाद ही कंपनी, सितंबर तिमाही की आय की घोषणा करने वाली है। इसके अलावा जल्द ही कंपनी शेयर बायबैक के प्रस्ताव पर भी चर्चा करने वाली है। इससे पहले बीते साल इंफोसिस बोर्ड ने 9,200 करोड़ रुपये तक की बायबैक योजना को मंजूरी दी थी। मंगलवार को बीएसई पर इंफोसिस के शेयर 0.95 फीसदी की तेजी के साथ 1,465 रुपये के भाव पर बंद हुए।
इंफोसिस ने एक नियामक फाइलिंग में कहा है कि निदेशक मंडल ने कंपनी में रवि कुमार एस के योगदान और उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के लिए उनकी सराहना की। बता दें कि इंफोसिस के अध्यक्ष की भूमिका में रवि कुमार एस ने सभी उद्योग क्षेत्रों में इंफोसिस ग्लोबल सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन का नेतृत्व किया। उन्होंने कंसल्टिंग, टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंजीनियरिंग और प्रोसेस वर्टिकल में सर्विस लाइन्स और स्पेशलाइज्ड डिजिटल सेल्स का भी प्रतिनिधित्व किया।
2016 में नियुक्त हुए थे इंफोसिस के अध्यक्ष
रवि कुमार एस ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद वे साल 2002 में इंफोसिस में शामिल हुए। कंपनी में शामिल होने के 14 साल बाद 2016 में उन्हें कंपनी का अध्यक्ष बना दिया गया। इतना ही नहीं, साल 2017 में उन्हें कंपनी के डिप्टी सीओओ के रूप में भी नामित किया गया था और इसके बारे में उन्हें जानकारी भी दे दी गई थी, हालांकि बाद में इंफोसिस ने यूबी प्रवीण राव की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सीओओ के पद से दूर कर दिया।
लैंगिक पूर्वाग्रह के आरोपों का सामना कर रही है कंपनी
हाल ही में इंफोसिस में प्रतिभा अधिग्रहण की पूर्व उपाध्यक्ष जिल प्रेजीन ने अमेरिकी अदालत में शिकायत देते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रेजीन ने बताया कि इंफोसिस ने भारतीय मूल के लोगों, बच्चों वाली महिलाओं और 50 या उससे अधिक उम्र के उम्मीदवारों को काम पर रखने से बचने के लिए कहा था। इस तरह के अवैध, भेदभावपूर्ण मापदंडों के आधार पर उम्मीदवारों को स्क्रीन करने से इनकार करने पर मेरे साथ भी भेदभाव किया गया था। इतना ही नहीं कई अधिकारियों ने मुझपर नियंत्रण करने की कोशिश की। प्रेजीन ने आरोप लगाया कि अनुपालन न करने पर उन्हें हटाने की धमकी दी गई और काम के प्रतिकूल माहौल के साथ-साथ खुद भी भेदभाव का सामना करना पड़ा। बाद में एक कथित दबाव अभियान के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था।