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पद्मभूषण डॉ. जोशी- पानी के संकट से जूझ रहे यहां के गांव

RALLEY

 देहरादून: आर्थिक और पारिस्थितिकीय समन्वय और प्रकृति को बचाने के लिए शुरू की गई प्रगति से प्रकृति पथ साइकिल यात्रा आज मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी। पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी की अगुवाई में यात्रा सोमवार को नौवें दिन महाराष्ट्र के शिरपुर पहुंचीं। यहां पर्यावरणविद् डॉ. जोशी ने जगह-जगह लोगों को प्रगति के साथ प्रकृति को बचाने का संदेश दिया।

 डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य की यात्रा पूरी करते हुए प्रगति से प्रकृति पथ साइकिल यात्रा मंगलवार को 51 किमी. की दूरी तय करने के बाद मध्य प्रदेश के सेंधवा पहुंचेगी। महाराष्ट्र के बड़े-बड़े घाटों को पार कर यात्रा ने पहला पड़ाव भी पार कर लिया है। महाराष्ट्र के लोगों का यात्रा का पूरा समर्थन मिला है। युवाओं ने यात्रा के उद्देश्यों से जुड़ने का संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि लोगों ने एक तरफ यात्रियों के उद्देश्य के लिए प्रशंसा की, वहीं भागीदारी का संकल्प भी लिया। डॉ. जोशी ने कहा कि महाराष्ट्र की पारिस्थितिकी की बात करें तो कुछ हद तक स्वच्छता देखी गई, लेकिन वनों के हालात वैसे ही हैं। महाराष्ट्र के गांवों में पानी का संकट बना हुआ है, जिसका कारण प्रकृति के प्रति समझ कम होना है।

पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि आर्थिकी और पारिस्थितिकीय के बीच लगातार असंतुलन बढ़ रहा है। इससे गांव से लेकर शहर तक सब लोग परेशान हैं। असंतुलन के कारण गांव खाली हो रहे हैं और शहरों में आबादी का दबाव बढ़ रहा है। मुंबई से शुरू हुई प्रगति से प्रकृति पथ साइकिल यात्रा आठवें दिन रविवार को महाराष्ट्र के धुले जिले में पहुंची। गांव में उन्होंने लोगों को पर्यावरण और प्रकृति के प्रति जागरूक किया। पारंपरिक तौर से मोमबत्ती बनाने वाले लोगों से डॉ. जोशी ने मुलाकात कर व्यवसाय के बारे में जानकारी ली। जुलाल भिलाजीराव पाटिल कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में डॉ. जोशी ने कहा कि अगर देश गांधी के रास्ते चलता तो शायद बेहतर संतुलन में होता। लेकिन आज आर्थिक और पारिस्थितिकीय के बीच असंतुलन बढ़ रहा है।

पानी को हम दो रूप में जानते हैं। एक सूखा और दूसरा बाढ़ की स्थिति में। पारिस्थितिकीय में जब भी कोई बड़ी आपदा आती है तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान गांव के लोग भी झेलते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह विकास के लिए पश्चिमी देशों के मॉडल हैं। यूरोपियन मॉडल के हालात ये हैं कि वहां 41 से 45 डिग्री तक तापमान पहुंच गया है। चंद्रमा और मंगल पर जाने की बात हो रही है, लेकिन धरती को बचाने के लिए नहीं सोच रहे हैं। जोशी ने कहा कि दुनिया में अर्थव्यवस्था में हम पांचवें नंबर पर हैं, हमें इकॉलोजी में भी आगे होना चाहिए।

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