Sun. Jul 6th, 2025

मां-बाप की चिंता बच्चों में मोबाइल की लत

Dehradun: मोबाइल अब बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने लगा है। फोन में कार्टून देखना, गेम खेलना और यूट्यूबर बनने की लत बच्चों को इस कदर प्रभावित कर रही है कि मोबाइल न मिले तो वह अजीब हरकतें करने लगते हैं। कभी अपना सिर दीवार पर पटकते तो कभी मोबाइल न मिलने पर रोने लगते हैं।

यही नहीं, नया फोन लेने के लिए अपने आप को नुकसान पहुंचाने से भी पीछे नहीं रहते। बच्चों के दिमाग में हो रही यह उथल पुथल देखकर माता-पिता भी परेशान हैं कि कहीं उनके लाडलों को कोई बीमारी तो नहीं है। अभिभावक बच्चों को मनोचिकित्सक के पास लेकर जा रहे हैं। यहां उन्हें पता चलता है कि बच्चे मोबाइल फोन की लत लगने की वजह से बिहेवियरल डिसऑर्डर के शिकार हैं। ऐसे में बच्चों के साथ माता-पिता की भी काउंसलिंग करनी पड़ती है।

कोरोनेशन अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. निशा सिंगला ने बताया कि मोबाइल गेम की लत बच्चों को बिगाड़ रही है। फोन पाने के लिए बच्चे माता-पिता के सामने अजीब हरकते करते हैं। कभी उनका गला दबाने की कोशिश करते हैं तो कभी खुद को नुकसान पहुंचाते हैं। पिछले दिनों अस्पताल में ऐसे केस आए हैं। जब बच्चे से अकेले में पूछा तो बताया कि यह सब नाटक इसलिए किया, ताकि उन्हें नया मोबाइल फोन मिल सके। क्योंकि, वह एक यूट्यूबर बनना चाहता है।

आईएसबीटी कॉलोनी निवासी परिवार में छह वर्षीय बेटे को मोबाइल देखने की लत ऐसी है कि वह मोबाइल फोन पर कार्टून देखे बिना खाना नहीं खाता। सोने से पहले भी उसे मोबाइल पर कार्टून देखना होता है। मोबाइल नहीं मिलने पर रोना शुरू कर देता है।

डालनवाला स्थित एक परिवार में हाईस्कूल का छात्र मोबाइल में गेम खेलने का इतना आदी है कि उसे यूट्यूबर बनने का शौक चढ़ा है। नया मोबाइल फोन लेने के लिए वह अजीब हरकतें करता है। कभी अपना सिर दीवार पर पटकता तो कभी माता-पिता से झगड़ा करता है।

बोलना भी नहीं सीख पा रहे छोटे बच्चे
कोरोनेशन अस्पताल के डिस्ट्रिक्ट इंटरवेंशन अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की साइकोलॉजिस्ट डॉ. नीलम जोशी ने बताया कि मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल की वजह से बच्चे छोटी उम्र में बोलना नहीं सीख पा रहे हैं। अपने आपको खुलकर एक्सपोज न कर पाना, खेल न पाने जैसी दिक्कतें आ रही हैं। बिहेवियरल डिसऑर्डर की समस्या छह साल तक के बच्चों में अधिक देखने को मिल रही है।

घर का वातावरण बेहतर बनाएं
घर का माहौल अच्छा रखें। बच्चा जो भी सीखता है घर से ही सीखाता है। अगर माता-पिता दोनों वर्किंग हैं तो एक लोग बच्चे के लिए समय निकालें। घर का माहौल ऐसा बनाएं, जिसमें मोबाइल का कम इस्तेमाल किया जाए। खाना खाते समय या कोई ऐसा समय हो जहां पर मोबाइल कोई भी इस्तेमाल न करे। जिन माता-पिता के बच्चे छोटे हैं, वो शुरुआत से ही उन्हें मोबाइल फोन से दूर रखें। बच्चों के साथ बातें करें। उनके साथ समय बिताएं। बच्चों के मन की बात सुनें और उन्हें समझाएं।

लक्षण
– कम बोलना
– हर समय रोते रहना
– जिद करना
– गुस्सा करना
– खुद को पीटना
– बातें सब सुनना, लेकिन किसी भी बात को न बोलना पाना
– अपने से बड़े माता-पिता को पीटना
– हाथ पैर पटकना

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *