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विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को शामिल किया

BALKRISHNA

हरिद्वार: पतंजलि आयुर्वेद और योग के प्रति निष्ठा रखने वाले वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्त्ता गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। इससे पहले आचार्य बालकृष्ण को सम्मानित भी किया गया था।

यूएसए की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूरोपियन पब्लिशर्स एल्सेवियर की ओर से जारी विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को शामिल किया गया है। इस अवसर पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने विश्व के अग्रणी और ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिकों में स्थान प्राप्त कर बाटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम, योग-आयुर्वेद चिकित्सा और चिकित्सा के परिणामों को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है।

  • कोरोनाकाल में आचार्य के दिशा-निर्देशन में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के कुशल वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोनिल के रूप में एक प्रामाणिक औषधि का निर्माण किया था।
  • यहां विभिन्न साध्य-असाध्य रोगों पर भी अनुसंधान आधारित गुणकारी औषधियां तैयार की गई हैं।
  • इनमें, लिवोग्रिट, न्यूरोग्रिट गोल्ड, मैमोरिग्रिट, मधुग्रिट, बीपीग्रिट, कार्डियोग्रिट गोल्ड, श्वासारी गोल्ड, पीड़ानिल गोल्ड, ब्रोंकोम, आईग्रिट और इयरग्रिट आदि प्रमुख हैं।
  • आचार्य बालकृष्ण ने सैकड़ों ग्रंथों, वनस्पति आधारित पुस्तकों, पांडुलिपि आधारित पुस्तकों की रचना कर अद्वितीय कार्य किया है।
  • आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्य करने वाली पतंजलि पहली ऐसी संस्था है, जिसके पास एनएबीएच मान्यता प्राप्त दो हास्पिटल के साथ एनएबीएल, डीएसआइआर, सीपीसीएससीईए, डीबीटी से मान्यता प्राप्त विश्वस्तरीय अनुसंधान प्रयोगशालाएं हैं।
  • आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में संचालित पतंजलि अनुसंधान संस्थान अंतर्गत अनेक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों पर वृहद् स्तर पर अनुसंधान करके उन्हें विभिन्न विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल्स में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया।
  • यहां लगभग 500 वैज्ञानिक निरंतर शोधकार्य में लगे हैं।
  • योग-आयुर्वेद में ही 80 भाषाओं में रिसर्च बेस्ड पब्लिकेशंस

आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में संचालित पतंजलि मेंयोग-आयुर्वेद में ही 80 भाषाओं में रिसर्च बेस्ड पब्लिकेशंस हैं। वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया ऐसी ही कालजयी रचना है, जो आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणाप्रद रहेगी। इसके 109 भागों में से 51 भागों का प्रकाशन हो चुका है, शेष भाग जल्द प्रकाशित किए जाने का लक्ष्य है।

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