Thu. Nov 21st, 2024

महाभारत और पांडवों से जुड़ी है केदारनाथ धाम के कपाट?

kedarnath
रुद्रप्रयाग:  शीतकाल के लिए भगवान केदारनाथ धाम के कपाट गुरुवार सुबह 8:30 बजे बंद किए जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ धाम के कपाट भाई दूज के मौके पर ही क्यों बंद होते हैं? नहीं तो चलिए जानते हैं कि इसकी क्या मान्यता है। दरअसल, केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की मान्यता महाभारत और पांडवों से जुड़ी है।
कहा जाता है कि द्वापर युग में महाभारत के युद्घ के उपरांत पांडव द्रोपदी के साथ हिमालय दर्शन के लिए गए थे। तब, उन्होंने केदारनाथ में भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया और भाई दूज के दिन अपने पित्रों का तर्पण दिया और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।
मान्यता है कि भाई दूज दिवाली का अंतिम पर्व है और इसके बाद ठंड भी बढ़ जाती है जिससे हिमालय क्षेत्र में रहना संभव नहीं है। इसलिए, भाई दूज पर केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। गुरुवार को कपाट बंद होने के बाद 29 अक्तूबर को डोली अपने शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।
इससे पहले बुधवार को केदारनाथ में बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कर भंडारगृह से मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया। गुरुवार को तड़के चार बजे से मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग द्वारा केदारनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना शुरू होगी।
साथ ही स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देते हुए भष्म से ढक दिया जाएगा। इस मौके पर बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रृंगार कर चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया जाएगा।
अन्य धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्रशासन व बीकेटीसी के अधिकारियों की मौजूदगी में मंदिर के कपाट बंद कर चाभी एसडीएम ऊखीमठ को सौंप दी जाएगी।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *