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राज्य कर्मचारियों के पदोन्नति वेतनमान का मसला अटका

Dehradun: विभागों से समय पर सूचना प्राप्त न होने के कारण राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति वेतनमान मसला लटक गया है। इस मसले के समाधान करने के लिए सभी विभागों से 2021-22 तक नया वेतनमान दिए जाने पर बढ़ने वाले खर्च का ब्योरा मांगा गया है। लेकिन अब भी कई विभागों ने सूचना नहीं भेजी है। वित्त विभाग ने एक बार फिर विभागों को पत्र भेजकर 15 दिन के भीतर पूरी जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश सरकार से जुड़े तकरीबन सभी कर्मचारी राज्य कर्मचारियों को 10,16 और 26 वर्ष में पदोन्नति के पद का वेतनमान दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर कर्मचारी संगठन कई बार आंदोलन कर चुके हैं। यह मांग मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव से लेकर सचिव वित्त के समक्ष कई बार उठाई चुकी है। मुख्यमंत्री की ओर से वित्त विभाग को इस मांग के संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश हैं। वित्त विभाग यह आकलन कर रहा है कि कर्मचारियों की मांग के अनुरूप पदोन्नति वेतनमान लागू करने पर सरकारी राजकोष पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा। सटीक आकलन के लिए शासन स्तर से सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों और प्रभारी सचिवों को पत्र जारी कर उनसे संबंधित विभागों से सूचनाएं भेजने को कहा गया था। यह सूचना उन्हें विभिन्न सेवा संवर्गों के साथ मिनिस्टीरियल व वैयक्तिक सहायक संवर्ग के कर्मचारियों के बारे में भी भेजनी है।विभागीय सूत्रों के मुताबिक, कई विभागों से वित्त विभाग को सूचनाएं प्राप्त हो चुकी हैं। लेकिन अब भी कई विभागों ने सूचना नहीं दी है। अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद ने इस संबंध में पत्र जारी कर विभागों से वर्ष 2016-17 से वर्ष 2021-22 तक की सूचना 15 दिन में भेजने को कहा है। उन्होंने पत्र में उन विभागों का जिक्र किया है, जिन्होंने अभी सूचना नहीं भेजी है।

कौशल विकास एवं सेवायोजन, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखडं प्राविधिक शिक्षा, महानिरीक्षक बिंधन, उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग, अर्थ एवं संख्या विभाग, यात्रा प्रशासन संगठन (ऋषिकेश को छोड़कर)।

उत्तराखंड राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पांडेय ने शासन से मांग की कि जिन विभागों से सूचनाएं देने में हीलाहवाली की जा रही है, उनके विभागाध्यक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि लंबे समय से कर्मचारी 10,16 26 वर्ष पर पदोन्नत वेतनमान की मांग कर रहे हैं। लेकिन इस मांग पर कतिपय विभागाध्यक्षों का रवैया उदासीन है।

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