Sat. Jul 5th, 2025

उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को जब-जब अवसर मिला, उन्होंने अपनी योग्यता को साबित किया

Dehradun: उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को जब-जब अवसर मिला, उन्होंने अपनी योग्यता को साबित किया। प्रशासनिक तंत्र की ये मर्दानी राज्य सचिवालय से लेकर जिला मुख्यालयों में डटकर मोर्चा संभाल रही हैं।

ये उनके प्रशासनिक अनुभव, योग्यता और कुशल प्रदर्शन का नतीजा है कि आज राज्य के दो सबसे प्रमुख जिले देहरादून और नैनीताल की कमान महिला आईएएस अफसरों के हाथों में है। सीमांत जिले पिथौरागढ़ और बागेश्वर की प्रशासनिक व्यवस्था का जिम्मा भी महिला जिलाधिकारियों के हाथों में है।

प्रशासनिक कामकाज के साथ ही वे अपने कार्यक्षेत्रों में आधी आबादी की न सिर्फ उम्मीद हैं बल्कि प्रेरणा का काम भी कर रही हैं। बड़ी संख्या में मौजूद प्रशासनिक व्यवस्था की इन देवियों में से कुछ के बारे में पेश है ये रिपोर्ट।

फर्जी रजिस्ट्री घोटाले का पर्दाफाश किया   

देहरादून जिले की कमान 2010 बैच की आईएएस अधिकारी सोनिका के हाथों में है। जनपद की बागडोर संभालने से पहले उनके सामने देहरादून की प्रशासनिक व्यवस्था को संभालने और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पटरी पर लाने की चुनौती थी। इन दोनों चुनौतियों का उन्होंने डटकर सामना किया। फर्जी रजिस्ट्री घोटाले का पर्दाफाश करने में उनकी अहम भूमिका रही है। शिकायतों पर जिस गंभीरता और मुस्तैदी के साथ उन्होंने एक्शन लिया, उसने प्रशासनिक तंत्र के प्रति एक विश्वास जगाया है। परेड ग्राउंड की सूरत बदलने से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए जिले में आठ स्थानों पर पुस्तकालय खोलकर उन्होंने उनकी पहल को सराहा गया।

सीमांत जिले पिथौरागढ़ की पहली डीएम

वर्ष 2013 बैच की आईएएस अधिकारी रीना जोशी सीमांत जिले पिथौरागढ़ की पहली महिला जिलाधिकारी हैं। उनके लिए गौरव की बात यह है कि 62 वर्षों में वह पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्हें पिथौरागढ़ का जिलाधिकारी बनने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री का पिथौरागढ़ दौरा उनके प्रशासनिक तंत्र की पहली कड़ी परीक्षा थी। इस परीक्षा में वह सफल रहीं। पिथौरागढ़ जाने से पहले वह बागेश्वर में जिलाधिकारी रहीं। वह काम और व्यवहार से लोगों की समस्याओं का समाधान करती हैं।

Shardiya Navratri 2023 Mardaani of administrative system women officers and employees Uttarakhand news

बागेश्वर की जिलाधिकारी अनुराधा पाल वर्ष 2016 बैच की अधिकारी हैं। जिलाधिकारी बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव की चुनौती थी। उपचुनाव उनके प्रशासनिक कौशल की पहली परीक्षा थी। प्रशासनिक कौशल के साथ ही अनुराधा अपनी संघर्ष यात्रा के को लेकर समाज के लिए प्रेरणा हैं। हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की निवासी अनुराधा ने आईएएस की परीक्षा हिंदी माध्यम से पास की। हिंदी माध्यम की टॉपर होने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है। उन्होंने न सिर्फ बागेश्वर का उपचुनाव सम्पन्न कराया, बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से वीआईपी की सभाएं भी सम्पन्न कराईं।

24 वर्ष में आईएएस की परीक्षा पास की

वर्ष 2012 बैच की अधिकारी वंदना के हाथों में महत्वपूर्ण जिले नैनीताल की कमान है। हरियाणा मूल की वंदना ग्रामीण परिवार से हैं। उनके नाम 24 वर्ष की आयु में आईएएस परीक्षा पास करने की उपलब्धि है। वह रुद्रप्रयाग जिले की भी डीएम रहीं। इसके अलावा वंदना अल्मोड़ा की डीएम भी रहीं। पर्वतीय जिलों में उनके प्रशासनिक अनुभव के देखते हुए उन्हें नैनीताल की कमान सौंपी गई। उन्हें एक सख्त और गंभीर अधिकारी के तौर पर देखा जाता है। वह लोगों को स्वरोजगार दिलाने के लिए भी विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही हैं। इसके अलावा जनसुनवाई में भी वह अधिकतर शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण कर देती हैं।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *